CJI Dr DY Chandrachud in Madurai: भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को तमिलनाडु के मदुरै में कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश का प्रतिनिधित्व करता है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए सचेत प्रयास कर रहे हैं कि देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और विभिन्न क्षेत्रों को सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व मिले.
मदुरै में सीजेआई डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं तीन मुद्दों पर प्रकाश डालना चाहूंगा. सबसे पहले, जूनियर वकीलों के शुरुआती स्तर के वेतन में वृद्धि की आवश्यकता है. दूसरा, कार्य संस्कृति से संबंधित रूढ़िवादिता को तोड़ना महत्वपूर्ण है. तीसरा, बार और बेंच के बीच मजबूत संबंध होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हम दोनों न्याय प्रणाली के हितधारक हैं और कामकाज एवं समन्वय में विश्वास की भावना होनी चाहिए.
Tamil Nadu | It is Supreme Court that represents the nation. We are making conscious efforts to ensure that different high courts and different regions of the nation find representation in the Supreme Court: Chief Justice of India, Dr DY Chandrachud in Madurai pic.twitter.com/fzQhACDEHf
— ANI (@ANI) March 25, 2023
वहीं, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी तरह के टकराव से इनकार करते हुए शनिवार को कहा कि लोकतंत्र में मतभेद अपरिहार्य हैं, लेकिन उन्हें टकराव नहीं समझा जाना चाहिए. रीजीजू ने कहा, हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टकराव है. इससे दुनिया भर में एक गलत संदेश जाता है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि देश के विभिन्न अंगों के बीच कोई दिक्कत नहीं है. यह मजबूत लोकतांत्रिक कार्यों के संकेत हैं, जो संकट नहीं हैं.
सरकार और उच्चतम न्यायालय या विधायिका और न्यायपालिका के बीच कथित मतभेदों संबंधी मीडिया की कुछ खबरों की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमें यह समझना चाहिए कि हम एक लोकतंत्र हैं. कुछ दृष्टिकोणों के संदर्भ में कुछ मतभेद होना तय है, लेकिन आप परस्पर विरोधी रुख नहीं रख सकते. इसका मतलब टकराव नहीं है. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र भारतीय न्यायपालिका के स्वतंत्र रहने का समर्थन करेगा. उन्होंने पीठ और बार को एक ही सिक्के के दो पहलू करार देते हुए एकसाथ काम करने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि अदालत परिसर विभाजित नहीं हो. उन्होंने कहा, एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं हो सकता. अदालत में उचित शिष्टाचार और अनुकूल माहौल होना चाहिए.