देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India ) के तौर पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद की शपथ दिलाई. बातते चले कि जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान बेंच और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा रहे हैं. सीजेआई के पद पर जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक का होगा. पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने अपने रिटायरमेंट से पहले जस्टिज चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश की थी.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अबतक के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करने जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला करने वाली पीठ का वह हिस्सा रहे.
असहमति को लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व’ के रूप में देखने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठों का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने व्यभिचार और निजता के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने पिता वाई. वी. चंद्रचूड़ के फैसले को पलटने में कोई संकोच नहीं किया.
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सीजेआई चंद्रचूड़ ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि आम जनता की सेवा करना उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा, मैं देश के सभी नागरिकों के लिए काम करूंगा. चाहे प्रौद्योगिकी हो या रजिस्ट्री हो…या न्यायिक सुधार हो, मैं हर मामले में नागरिकों का ध्यान रखूंगा. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करना बहुत बड़ा अवसर और जिम्मेदारी है.
(भाषा- इनपुट के साथ)