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Climate Change: बाढ़ और सूखे के खतरे से निपटने के तैयार किया गया मानचित्र

देश के 698 जिलों में बाढ़ और सूखे के जोखिमों का विस्तृत विश्लेषण करने वाली रिपोर्ट आईआईटी मंडी, आईआईटी गुवाहाटी और सीएसटीईपी बेंगलुरु द्वारा विकसित और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी) के सहयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने तैयार किया है.

Climate Change: जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. इसके कारण देश के कई हिस्सों में बाढ़ और सूखे की स्थिति गंभीर होती जा रही है. ‘भारत के लिए जिला स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन: आईपीसीसी फ्रेमवर्क का उपयोग करते हुए बाढ़ और सूखे के जोखिमों का मानचित्र’ शीर्षक आधारित रिपोर्ट जारी की है. इसमें देश के 698 जिलों में बाढ़ और सूखे के जोखिमों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी और सीएसटीईपी बेंगलुरु द्वारा विकसित और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी) के सहयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने यह रिपोर्ट तैयार की है.

रिपोर्ट में जिला-स्तरीय बाढ़ और सूखे के खतरे, जोखिम और संवेदनशीलता संबंधी मानचित्र तैयार किया गया  है. जिससे देश में बाढ़ और सूखे के जोखिम को दर्शाने वाले मानचित्र तैयार करने में मदद मिलेगी. इसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए जिला-स्तरीय बाढ़ और सूखे के खतरे, जोखिम और जोखिम मानचित्र बनाया गया है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में सीईएसटी प्रभाग की प्रमुख डॉक्टर अनीता गुप्ता ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सतत हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र मिशन (एनएमएसएचई) और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन रणनीतिक ज्ञान मिशन (एनएमएसकेसीसी) को संचालित करने वाला डीएसटी उच्च जोखिम वाले राज्यों की पहचान करने और अनुकूल रणनीति तैयार करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक है. इसमें जोखिम आकलन को कार्रवाई योग्य योजना में बदलना, टिकाऊ ढांचे का निर्माण करना और स्थानीय समुदायों को संवेदनशील बनाना शामिल है.  

बाढ़ और सूखा प्रभावित जिलों के योजना बनाने में मददगार


रिपोर्ट के अनुसार देश के 50 जिले ‘बहुत उच्च’ बाढ़ जोखिम श्रेणी में और 118 जिले ‘उच्च’ बाढ़ जोखिम श्रेणी में आते हैं. ‘बहुत उच्च’ या ‘उच्च’ बाढ़ जोखिम श्रेणी में लगभग 85 फीसदी जिले असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर में हैं. वहीं सूखा जोखिम मूल्यांकन भारत के जिलों में सूखे के जोखिम में भिन्नता को प्रदर्शित कर रहा है. देश के 91 जिले ‘बहुत उच्च’ सूखा जोखिम श्रेणी में आते हैं और अन्य 188 जिले ‘उच्च’ सूखा जोखिम श्रेणी में हैं.

‘बहुत उच्च’ या ‘उच्च’ सूखा जोखिम श्रेणी में 85 फीसदी से अधिक जिले बिहार, असम, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, केरल, उत्तराखंड और हरियाणा के हैं. बाढ़ और सूखे का दोहरा जोखिम दर्शाता है कि बाढ़ के सबसे अधिक जोखिम वाले शीर्ष 50 जिलों और सूखे के सबसे अधिक जोखिम वाले शीर्ष 50 जिलों में से 11 जिले बाढ़ और सूखे दोनों के ‘बहुत अधिक’ जोखिम में हैं. इस दोहरे जोखिम का सामना करने वाले जिलों में बिहार का पटना, केरल का अलपुझा, असम का चराईदेव, डिब्रूगढ़, शिवसागर, दक्षिण सलमारा मनकाचर और गोलाघाट, ओडिशा का केंद्रपाड़ा और पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद, नादिया और उत्तर दिनाजपुर शामिल हैं.

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