कोलकाता: जलवायु परिवर्तन का असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. क्लाइमेट चेंज की वजह से वज्रपात की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है. आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि वर्ष 2010 तक औसतन 18,000 वज्रपात की घटनाएं गर्मियों के मौसम में होतीं थीं, जो वर्ष 2020 में 1,50,000 हो गयीं. लाइटनिंग डिटेक्शन नेटवर्क के संचालक अर्थ नेटवर्क्स ने इंडिया लाइटनिंग रिपोर्ट 2020 में भारत से जुड़े जो तथ्य सामने आये हैं, डराने वाले हैं.
द अर्थ नेटवर्क्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में तीन करोड़ 90 लाख से अधिक बार आकाशीय बिजली गिरी, जिसमें एक करोड़ से अधिक बार आकाशीय बिजली जमीन से टकरायी. आकाशीय बिजली के जमीन के टकराने से जान माल के अधिक नुकसान की संभावना रहती है. बताया गया है कि भारत में 2019 की तुलना में पिछले साल आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में 23 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में बिजली गिरने की अधिक घटनाएं सामने आयीं. वहीं, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और महाराष्ट्र में बिजली गिरने से सबसे अधिक लोगों की जान गयी. रिपोर्ट बताया गया है कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2020 के दौरान बिजली गिरने की 30,49,886 घटनाएं हुईं.
वर्ष 2020 में, भारत में मानसून के मौसम में मई, जून और सितंबर में बिजली गिरने की सबसे अधिक घटनाएं दर्ज की गयीं. 2020 में पूरे भारत में मानसून के दौरान करीब 109 प्रतिशत बारिश हुई, जो कि वर्ष 2019 के 110 प्रतिशत की तुलना में एक प्रतिशत कम थी. वहीं, वर्ष 2020 में अगर बिजली गिरने का आंकड़ा देखें, तो यह 2019 की तुलना में 22.6 प्रतिशत अधिक है.
भारत में हर साल वज्रपात से 2400 लोगों की मौत
भारतीयों के लिए वज्रपात का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. भूमध्य रेखा, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर से निकटता के कारण यहां अत्यधिक मात्रा में गर्मी और नमी दोनों का अनुभव होता है, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में गंभीर और अचानक गरज के साथ बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं. इससे भारी जानमाल की हानि देखी जा रही है. पहले की तुलना में देखें, तो ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं.
पहले एक-दो मामले सामने आते थे, लेकिन अब इसमें बड़ी तेजी देखी जा रही है. पिछले दो दशक में बिजली गिरने की घटनाओं पर स्टडी से पता चला है कि अब घातक मामले पहले से ज्यादा तेजी से सामने आ रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक अध्ययन के अनुसार, 2001 से भारत में हर साल बिजली गिरने से औसतन 2,400 लोग मारे जाते हैं.
द अर्थ नेटवर्क्स के कुमार मार्गसहायम ने बताया कि यह संख्या अधिक है. लोगों को समय पर मौसम का अलर्ट मिल जाने और इसको लेकर जागरूकता फैलाकर लोगों की जान बचायी जा सकती है. अर्थ नेटवर्क्स ने दावा किया कि यह पूरे भारत में विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों, विश्वविद्यालयों और निजी उद्योग क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
सरकारी एजेंसियां जैसे भारतीय सशस्त्र बल, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, और उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एनईएसएसी) मौसम को लेकर अपनी अपनी तैयारियों को बढ़ाने के लिए अर्थ नेटवर्क्स के लाइटनिंग सेंसर और उनके डेटा का प्रयोग करते हैं.
Posted By: Mithilesh Jha