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Delhi Excise Policy Case: अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से बेल, HC ने लगाया स्टे, यहां जानिए पूरा अपडेट

Delhi Excise Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दे दी. हालांकि, ED ने इसका विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की वेकेशनल बेंच में याचिका दायर की है.

Delhi Excise Policy case: दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दे दी. हालांकि, ED ने इसका विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की वेकेशनल बेंच में याचिका दायर की है. दिल्ली कोर्ट में फिलहाल जमानत को लेकर बहस जारी है. इससे पहले बता दें, गुरुवार को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए उन्हें जमानत दे दी थी. ईडी ने कोर्ट के जमानत देने का विरोध किया.

दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को सीएम केजरीवाल को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी. केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज ने यह आदेश दिया. जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल आज यानी 21 जून को जेल से बाहर आ सकते हैं. हालांकि हाई कोर्ट ने जमानत पर स्टे लगा दिया है. फिलहाल कोर्ट में जमानत को लेकर बहस जारी है.

दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को कई समन से बचने के बाद 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था. गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट की ओर से लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत मिली थी. कोर्ट ने इस शर्त पर उन्हें जमानत दी थी कि उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करना होगा और वापस जेल जाना होगा. केजरीवाल ने 2 जून को तिहाड़ जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था और तब से वहीं हैं. एक जजर डालते हैं गिरफ्तारी से लेकर अबतक के सारे घटनाक्रम को.

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Delhi Excise policy Case: क्या रहा पूरा घटनाक्रम

दिल्ली आबकारी नीति मामले और अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी से जुड़ी घटनाओं की समय-सीमा का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

नवंबर 2021 में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक नई आबकारी नीति पेश की. इस नीति को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया तो कुछ ने चिंता जताई.

जुलाई 2022 में, दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में अनियमितताओं और उल्लंघनों का आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल को एक रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मनमाने और एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाया गया, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ. इस रिपोर्ट के आधार पर, एलजी ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की.

अगस्त 2022 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया, जबकि सीबीआई ने भी जांच शुरू की. मामले के सिलसिले में सिसोदिया अभी भी जेल में हैं.

सितंबर 2022 में, दिल्ली सरकार ने अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफलता का हवाला देते हुए नई आबकारी नीति को वापस ले लिया. अक्टूबर 2023 में, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना पहला समन जारी किया. केजरीवाल को नवंबर में एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था.

फरवरी 2024 में, केजरीवाल की ओर से ईडी के कई समन पर पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होने के कारण जांच एजेंसी ने समन की अवहेलना का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट में इसकी शिकायत दर्ज कराई.

मार्च 2024 में, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने केजरीवाल को समन जारी किया और कुछ ही दिनों में कोर्ट ने उन्हें ईडी की शिकायत में जमानत दे दी. हालांकि, बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल को ईडी समन के खिलाफ सुरक्षा देने से इनकार कर दिया और 21 मार्च को मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के तुरंत बाद, केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया. अदालतों के चक्कर लगाने के बाद, उन्हें आखिरकार तिहाड़ जेल ले जाया गया, जहां उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पहले से ही बंद हैं.

मई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल को 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी. बाद में उन्होंने मेडिकल कारणों से अपनी जमानत बढ़ाने की गुहार लगाई, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.

जून 2024, में केजरीवाल ने जमानत खत्म होने के बाद 2 जून को सरेंडर कर दिया और वापस जेल चले गए.

जून 20 को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी. हालांकि अभियोजन पत्र ने जमानत ने खिलाफ हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज की है. जिसके बाज जमानत को लेकर अभियोजन और बचाव पक्ष में जिरह जारी है.

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