एक दशक तक बहुमत की सरकार चलाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार गठबंधन की सरकार चलानी होगी. वर्ष 2014 में तीन दशक के बाद केंद्र में भाजपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी थी. ऐसे में मोदी को गठबंधन के सहयोगी दलों के दबाव में झुकना नहीं पड़ा था. लेकिन इस बार भाजपा स्पष्ट बहुमत से दूर है और सरकार को टीडीपी और जदयू जैसे सहयोगियों की मांगों को स्वीकार करना होगा. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने कभी भी गठबंधन सरकार का नेतृत्व नहीं किया है. ऐसे में गठबंधन सरकार चलाना एक बड़ी चुनौती है और सहयोगियों के बीच संतुलन बनाना अहम है. अटल बिहारी वाजपेयी ने सफलतापूर्वक गठबंधन सरकार को चलाने का काम किया और बाद में यूपीए की दो सरकारों ने भी कार्यकाल को पूरा किया. ऐसे में मोदी को वाजपेयी के गठबंधन सरकार चलाने के मंत्र को स्वीकार करना होगा. आजादी के बाद तीन दशकों तक बहुमत की सरकार रही, फिर तीन दशक तक गठबंधन सरकार बनी और पिछले एक दशक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुमत की सरकार चली. लेकिन एक बार फिर देश के लोगों ने गठबंधन को बहुमत दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में एनडीए में शामिल दो पुराने सहयोगी शिवसेना और अकाली दल ने साथ छोड़ दिया. जदयू भी दो बार एनडीए से नाता तोड़ चुकी है. ऐसे में इस बार सहयोगियों को साधे रखना और नये सहयोगियों को साथ में लाने की कवायद करनी होगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष पहल करनी होगी. क्योंकि इंडिया गठबंधन कोशिश करेगा कि एनडीए सरकार को अस्थिर करने के लिए उसके सहयोगियों को साधा जाए. इसका संकेत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में दिया. ऐसे में मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की गठबंधन सरकार चलाने की कला को अपनाना होगा.
Coalition Government:एक दशक बाद फिर गठबंधन सरकार की हुई वापसी
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने कभी भी गठबंधन सरकार का नेतृत्व नहीं किया है. ऐसे में गठबंधन सरकार चलाना एक बड़ी चुनौती है और सहयोगियों के बीच संतुलन बनाना अहम है.
By Vinay Tiwari
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