‘कॉलरवाली’ बाघिन का अंतिम संस्कार, 29 शावकों को जन्म देकर बनी थी ‘सुपर टाइग्रेस मॉम’
कॉलरवाली नाम से मशहूर बाघिन ने मरने पर पूरे रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया. पेंच टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक ने बताया कि 'कॉलरवाली' बहुत बूढ़ी थी इसलिए प्राकृतिक कारणों से उसकी मौत हो गई.
Collarwali Super Tigress Mom: प्रकृति और मनुष्य का आपसी रिश्ता काफी गहरा माना जाता है. प्रकृति के बीच रहने वाले पशु-पक्षी केवल जीवन निर्वाह के लिए नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से इंसानों से जुड़ जाते हैं. ऐसा ही नजारा मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में देखने को मिला जहां कॉलरवाली नाम से मशहूर बाघिन ने मरने पर पूरे रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया. पेंच टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक ने बताया कि ‘कॉलरवाली’ नाम से मशहूर बाघिन का कल यानी रविवार को अंतिम संस्कार किया गया. ‘कॉलरवाली’ विश्व प्रसिद्ध बाघिन थी. चूंकि ‘कॉलरवाली’ बहुत बूढ़ी थी इसलिए प्राकृतिक कारणों से उसकी मौत हो गई.
आपको बता दें कि कॉलरवाली बाघिन ने रिकॉर्ड 29 शावकों को जन्म दिया था. जिसके बाद यह एक सुपर टाइग्रेस मॉम बन गई थी. बाघिन की उम्र 17 वर्ष थी. बताया जा रहा है कि वो पिछले कुछ दिनों से काफी बीमार चल रहीं थी. 2011 में कॉलरवाली बाघिन ने 5 शावकों को जन्म दिया था जो विरले ही देखने को मिलता है. जिससे बाद यह चर्चा बनी रही. वहीं आखिरी बार जनवरी 2021 में इसने 3 शावकों को जन्म दिया था. वहीं,बाघिन की मौत से आसपास के लोग काफी भावुक नजर आएं. सोशल मीडिया पर भी एक बाघिन के पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किए जाने की खबर चर्चा में बनी रही. लोग अपने अपने तरीके से इसकी सराहना कर रहे हैं.
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ऐसे पड़ा ‘कॉलरवाली’ नाम
बाघिन के कॉलरवाली नाम पड़ने के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल साल 2008 के मार्च में देहरादून के कुछ विशेषज्ञों ने बाघिन को बेहोश किया गया था और रेडियो कॉलर पहनाया था. जिसके बाद बाघिन को कॉलरवाली बाघिन का नाम मिला. पूरे भारत में यह इसी नाम से प्रसिद्ध हुई. हालांकि जिस तरह सम्मान के साथ बाघिन को अंतिम विदाई दी गई है, इसकी चर्चा कर चारों तरफ है.