केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा पिछले साल दिसंबर में की गयी सिफारिश को जल्दी ही मंजूरी दी जाएगी. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका की पीठ से कहा कि इन पांच नामों की नियुक्ति का आदेश (वारंट) रविवार तक जारी हो सकता है. पीठ ने हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र द्वारा देरी किये जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह काफी गंभीर मुद्दा है. पीठ ने चेतावनी दी कि इसमें किसी भी देरी के परिणामस्वरूप प्रशासनिक और न्यायिक दोनों तरह की कार्रवाई हो सकती है, जो संभव है सुखद न हो.
पीठ ने कहा कि हमें ऐसा कदम उठाने के लिए बाध्य नहीं करें, जो बहुत असहज करने वाला होगा. कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को सर्वोच्च अदालत में पदोन्नति के लिए पांच न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी. इनमें राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी. वी. संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश मनोज मिश्रा शामिल हैं.
बाद में 31 जनवरी को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के लिये केंद्र को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार के नामों की सिफारिश की. शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश (सीजीआई) समेत 34 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं. वर्तमान में शीर्ष अदालत 27 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही है.
पीठ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किये गये नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से कथित देरी से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी. वेंकटरमणी ने पीठ को आश्वासन दिया कि नामों की नियुक्ति का वारंट जल्द ही जारी होने की उम्मीद है. पीठ ने पूछा, कब, अगला सवाल है? हम तारीख के बारे में नहीं कह रहे हैं। दो दिन, तीन दिन या चार दिन, वारंट कब जारी होगा? अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मुझे बताया गया कि रविवार तक इसे जारी किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में पांच नामों की सिफारिश की गयी थी और अब यह फरवरी है. कॉलेजियम प्रणाली सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच गतिरोध का एक प्रमुख बिंदु बन गयी है, जिसमें न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति के तंत्र को विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इस सप्ताह की शुरुआत में दो नामों की सिफारिश करते हुए, कॉलेजियम ने कहा था, “13 दिसंबर, 2022 के अपने संकल्प द्वारा कॉलेजियम द्वारा पूर्व में सुझाए गये नामों की सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति के लिए वर्तमान में अनुशंसित दो नामों पर वरीयता होगी.
वेंकटरमणी ने जब कहा कि इन पांच नामों की नियुक्ति के वारंट जल्द जारी होने की उम्मीद है, तो पीठ ने कहा, “क्या हमें रिकॉर्ड करना चाहिए कि उन पांचों के लिए वारंट जारी किए जा रहे हैं? पीठ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि जहां तक शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई पांच सिफारिशों का संबंध है, वारंट पांच दिनों के भीतर जारी किए जाएंगे. अटॉर्नी जनरल ने अनुरोध किया कि दिनों की संख्या दर्ज न की जाए.
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि आप कह रहे हैं कि हो रहा है. जब मैं पूछता हूं, तो आप रविवार कहते हैं. इसलिए मैंने ज्यादा समय दिया. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि उन्होंने ज्यादा समय दिया, क्योंकि कई बार अप्रत्याशित देरी होती है. वेंकटरमणी ने जब कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित मुद्दे को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए, तो पीठ ने हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी के पहलू का उल्लेख किया और कहा कि यह “हमें बहुत परेशान कर रहा है.”
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पीठ ने कहा कि यदि स्थानांतरण आदेश लागू नहीं होते हैं, तो आप हमसे क्या चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम उनसे न्यायिक कार्य वापस ले लें, क्या आप यही चाहते हैं? पीठ ने कहा कि जब कॉलेजियम को लगता है कि कोई व्यक्ति हाई कोर्ट में काम करने के लिए उपयुक्त है और सरकार तबादले के मुद्दे को लंबित रखती है, तो यह “बहुत गंभीर” है. पीठ ने कहा कि उनकी वजह से उसे कुछ बेहद कठोर फैसले लेने पड़ेंगे.
तबादले की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी के मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने कहा कि हम किसी तीसरे पक्ष को इसके साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देंगे. पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों के एक हाई कोर्ट से दूसरे हाई कोर्ट में तबादले में देरी का सवाल ही नहीं उठता, जबकि इसमें सरकार की भूमिका बहुत कम है. पीठ ने कहा कि इसमें किसी भी देरी के परिणामस्वरूप प्रशासनिक और न्यायिक दोनों तरह की कार्रवाई हो सकती है, जो संभव है सुखद न हो.
उसने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा एक नाम की सिफारिश की गयी थी, लेकिन संबंधित न्यायाधीश 19 दिनों में सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. पीठ ने पूछा, आप चाहते हैं कि वह मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए बिना सेवानिवृत्त हो जाएं? वेंकटरमणी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है और आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. इस मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.