ओबीसी आरक्षण मामला : आयोग ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट, 7 प्वाइंट में समझें पूरा मामला
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप वर्गीकरण के लिए गठित रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. ओबीसी के उप वर्गीकरण के परीक्षण के लिए अक्टूबर, 2017 की एक अधिसूचना के मार्फत अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये यह आयोग गठित किया गया था.
OBC Reservation Case : अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप वर्गीकरण के लिए गठित रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. ओबीसी के उप वर्गीकरण के परीक्षण के लिए अक्टूबर, 2017 की एक अधिसूचना के मार्फत अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये यह आयोग गठित किया गया था. दिल्ली उच्च न्यायालय की सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी इस आयोग की अध्यक्ष हैं. समाज कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि 13 बार कार्यकाल बढ़ाये जाने के बाद इस आयोग ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी.
आयोग को किन बिंदुओं पर किया अध्ययन
आयोग को ओबीसी की केंद्रीय सूची में विभिन्न प्रविष्टियों का अध्ययन करने का जिम्मा दिया गया था. उसे किसी भी पुनरावृति, अस्पष्टता, विसंगति, वर्तनी या प्रतिलेखन की त्रुटियों को सुधारने, ओबीसी के बीच आरक्षण के लाभों के असमान वितरण का पता लगाने, तथा इन विभिन्न खामियों को वैज्ञानिक ढंग से दूर करने के लिए प्रणाली, मापदंड आदि तैयार करने का भी जिम्मा दिया गया था.
आयोग की रिपोर्ट को नहीं किया गया सार्वजनिक
बता दें कि इस आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है. हालांकि, सूत्रों की मानें तो ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण का इसमें शामिल सभी जातियों तक लाभ पहुंचाने के लिए आयोग ने इसकी तीन या चार श्रेणियां बनाने की सिफारिश की है. जानकारी हो कि इस आयोग ने अपने अध्ययन में पाया है कि ओबीसी में शामिल 2633 जातियों में से करीब एक हजार जातियों को बीते तीन दशक में एक बार भी आरक्षण का लाभ नहीं मिला है. आरक्षण का 50 फीसदी लाभ महज 48 जातियों के हिस्से आई हैं. कुल आरक्षण के 70 फीसदी का लाभ महज 554 जातियों ने उठाया है.
आयोग के द्वारा जारी इस रिपोर्ट की 7 जरूरी बातें
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बता दें कि 14 बार आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया है और इस रिपोर्ट को पेश करने के लिए 6 साल का समय लिया है.
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस रिपोर्ट में ओबीसी आरक्षण के लिए तीन या चार श्रेणियां बनाने का सुझाव दिया गया है.
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हालांकि, अब चूंकि यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को आयोग के द्वारा सौंप दिया गया है तो सभी की नजर केंद्र सरकार पर बनी हुई है.
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कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी कहना है कि अगर रिपोर्ट लागू होता है तो पिछड़े वर्ग में अगड़ों पर नजर होगी.
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महज 48 जातियों ने हासिल किया है आरक्षण का 50% लाभ
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एक हजार जातियों को तीस साल में एक बार भी नहीं मिला मौका
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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 2015 में ओबीसी में शामिल जातियों में आरक्षण का समान लाभ पहुंचाने के लिए सिफारिश की थी. तब आयोग ने ओबीसी में शामिल जातियों को अति पिछड़ा, ज्यादा पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग में बांटने की सिफारिश की थी.