पानी को लेकर दिल्ली-हरियाणा में फिर शुरू हो सकता है टकराव, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने की दी चेतावनी

सोमवार को यमुना नदी के जलस्तर का निरीक्षण करने वजीराबाद पहुंचे चड्ढा ने कहा कि यहां युमना नदी का जलस्तर कम से कम साढ़े सात फीट तक भरा होता है, लेकिन आज नदी सूखती नजर आ रही है, क्योंकि हरियाणा दिल्ली के हक का पानी रिलीज नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा ने दिल्ली के हक का पानी रोक लिया है. इस वजह से दिल्ली में जल संकट आ सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2021 5:02 PM

नई दिल्ली : यमुना के पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा के बीच एक बार फिर टकराव शुरू हो सकता है. सोमवार को दिल्ली जलबोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने सोमवार को कहा कि हरियाणा ने दिल्ली के हक का पानी रोक लिया है, जिसकी वजह से दिल्ली में जल संकट आ सकता है. साल 1965 के बाद पहली बार अब वजीराबाद में युमना का पानी इतना कम हुआ. उन्होंने कहा कि मैं खट्टर साहब से इतना ही कहूंगा कि आप कानूनी आधार पर दिल्ली वालों को उनके हक का पानी दें.

सोमवार को यमुना नदी के जलस्तर का निरीक्षण करने वजीराबाद पहुंचे चड्ढा ने कहा कि यहां युमना नदी का जलस्तर कम से कम साढ़े सात फीट तक भरा होता है, लेकिन आज नदी सूखती नजर आ रही है, क्योंकि हरियाणा दिल्ली के हक का पानी रिलीज नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा ने दिल्ली के हक का पानी रोक लिया है. इस वजह से दिल्ली में जल संकट आ सकता है.

सुप्रीम कोर्ट जाएगी दिल्ली सरकार

इसके पहले, दिल्ली जलबोर्ड के अध्यक्ष चड्ढा ने कहा रविवार को कहा था कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली की पानी आपूर्ति को रोका है. इसे लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी और कोर्ट से मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करने का आग्रह करेगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में वजीराबाद पर यमुना नदी का स्तर 674.5 फीट होना चाहिए, जबकि अब यमुना का जल स्तर घटकर 667 फीट पर आ गया है. पूरी नदी सूख गई है.

जलशोधन संयंत्रों की घट गई क्षमता

उन्होंने आगे कहा कि पानी कम मिलने की वजह से चंद्रावल जलशोधन संयंत्र की क्षमता 90 एमजीडी से घटकर 55 एमजीडी, वजीराबाद संयंत्र की 135 एमजीडी के घटकर 80 एमजीडी और ओखला संयंत्र की 20 एमजीडी से घटकर 12 एमजीडी रह गई है. उन्होंने कहा कि दिल्ली लैंडलॉक शहर है. दिल्ली पानी की आपूर्ति के लिए हमेशा पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहा है. दिल्ली ने कई दशक पहले पानी के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ समझौते भी किए हैं.

Next Article

Exit mobile version