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केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में पेश किया एनसीटी संशोधन बिल
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संसद से बिल पास होने के बाद कम जाएगी दिल्ली सरकार की पावर
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पावर में कटौती के बाद एलजी का रबर स्टांप बनकर रह जाएंगे दिल्ली के सीएम
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक-2021 (NCT Bill-2021) को लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार में टकराव शुरू हो गया है. इस विधेयक को लेकर बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करके केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे. खबर है कि इस प्रदर्शन में दिल्ली सरकार का पूरा मंत्रिमंडल के अलावा आम आदमी पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद रहेंगे. खबर यह भी है कि दिल्ली सरकार की ओर से केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को पेश विधेयक का पुरजोर तरीके से विरोध करने के साथ ही उसे वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा.
लोकसभा में सोमवार को पेश एनसीटी संशोधन बिल को लेकर दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि भाजपा की केंद्र सरकार संसद में बिल लाकर दिल्ली की निर्वाचित सरकार को कमजोर करने की साजिश कर रही है. इस बिल के पास हो जाने के बाद दिल्ली की सारी कार्यकारी शक्तियां उपराज्यपाल के हाथों में चली जाएंगी. इससे दिल्ली सरकार के देशभक्ति बजट में लाए गए सभी प्रस्तावों को लागू करने का फैसला अब उपराज्यपाल के हाथों में होगा.
दरअसल, एनसीटी संशोधन बिल को लेकर खलबली मची हुई है. इसका कारण यह है कि अगर यह बिल संसद से पास होकर लागू हो जाता है, तो फिर आने वाले दिनों में दिल्ली का मुख्यमंत्री वहां के उपराज्यपाल का केवल रबर स्टांप बनकर रह जाएगा. प्रशासनिक तौर पर सारी शक्तियां उपराज्यपाल के हाथों में चली जाएंगी. ऐसी स्थिति में, दिल्ली सरकार की ओर से किए गए कोई भी फैसले तब तक लागू नहीं किए जा सकेंगे, जब तक उपराज्यपाल उस पर अपनी मुहर नहीं लगाएंगे. हालांकि, प्रशासनिक अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खड़ी होने वाली तकरार कोई नई नहीं है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक-2021 पेश किया है, जो उपराज्यपाल को और अधिक शक्तियां प्रदान करता है. यह विधेयक उप-राज्यपाल को कई विवेकाधीन शक्तियां देता है, जो दिल्ली के विधानसभा से पारित कानूनों के मामले में भी लागू होती हैं. प्रस्तावित कानून यह सुनिश्चित करता है कि मंत्री परिषद (दिल्ली कैबिनेट) के फैसले लागू करने से पहले उप-राज्यपाल की राय के लिए उन्हें ‘जरूरी मौका दिया जाना चाहिए.’
इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि मंत्रिमंडल को कोई भी कानून लागू करने से पहले उपराज्यपाल की ‘राय’ लेना ज़रूरी होगा. इससे पहले विधानसभा से कानून पास होने के बाद उपराज्यपाल के पास भेजा जाता था. बता दें कि 1991 में संविधान के 239एए अनुच्छेद के जरिए दिल्ली को केंद्र शासित राज्य का दर्जा दिया गया था. इस क़ानून के तहत दिल्ली की विधानसभा को क़ानून बनाने की शक्ति हासिल है, लेकिन वह सार्वजनिक व्यवस्था, जमीन और पुलिस के मामले में ऐसा नहीं कर सकती है.
Posted by : Vishwat Sen