Congress: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का असर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों पर दिखने लगा है. इंडिया गठबंधन में शामिल कई सहयोगी दलों ने हार के लिए कांग्रेस के रवैये को जिम्मेदार ठहराया है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि अगर कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ती तो हरियाणा के परिणाम दूसरे होते, लेकिन अति आत्मविश्वास के कारण कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गयी. आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन से हरियाणा में आप के मुकाबले कांग्रेस को अधिक फायदा होता. लेकिन अति आत्मविश्वास कांग्रेस को ले डूबा. कांग्रेस की हार के बाद आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया कि अगले साल दिल्ली में होने वाला विधानसभा पार्टी अकेले लड़ेगी और कांग्रेस से गठबंधन नहीं होगा.
आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि एक तरफ अति आत्मविश्वासी कांग्रेस है तो दूसरी ओर अहंकारी भाजपा. ऐसे में आम आदमी पार्टी दिल्ली में पिछले 10 साल में किए गए काम के आधार पर दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में आप और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था. आप चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पायी.
सहयोगी दलों की अनदेखी कांग्रेस पर पड़ी भारी
आप प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कई दौर की बातचीत हुई. सभी विपक्षी दलों की मंशा भाजपा को हराने की थी. लेकिन कांग्रेस ने अति आत्मविश्वास में सहयोगी दलों के साथ समझौता नहीं किया. सपा और आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सीट दी, लेकिन हरियाणा चुनाव में हमारी अनदेखी की गयी और परिणाम सबके सामने है. आप के जानबूझकर हरियाणा में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के इरादे से चुनाव लड़ने के सवाल पर प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि इसमें तथ्य नहीं है. आम आदमी पार्टी की ओर से अंत तक गठबंधन बनाने का प्रयास किया गया. वैसे आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद ही दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी.
हाल के दिनों में दिल्ली में कांग्रेस अपना जनाधार बढ़ाने के लिए संगठन को मजबूत करने के अलावा जनसंपर्क अभियान चला रही है. अगर दिल्ली में कांग्रेस मजबूत होती है तो इसका नुकसान आम आदमी पार्टी को उठाना होगा. ऐसे में आम आदमी पार्टी की कोशिश दिल्ली में कांग्रेस को बैकफुट पर रखने की है ताकि अल्पसंख्यक वोटरों का बंटवारा नहीं हो सके और इंडिया गठबंधन की खातिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस आक्रामक प्रचार अभियान नहीं चला सके. गठबंधन नहीं करने की बात कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति है.