‘भारत माता की जय’ पर राजनीति तेज, कांग्रेस ने किया भाजपा पर पलटवार

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह पर ‘भारत माता की जय' नारे को लेकर निशाना साधने पर पलटवार किया है. पार्टी ने कहा कि “पवित्र नारे'' को मूर्खतापूर्ण और तुच्छ राजनीतिक बहस में नहीं घसीटना चाहिए.

By Amitabh Kumar | March 4, 2020 9:33 AM

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह पर ‘भारत माता की जय’ नारे को लेकर निशाना साधने पर पलटवार किया है. पार्टी ने कहा कि “पवित्र नारे” को मूर्खतापूर्ण और तुच्छ राजनीतिक बहस में नहीं घसीटना चाहिए. आपको बता दें कि भाजपा संसदीय दल को संबोधित करते हुए मोदी ने डॉ. मनमोहन पर निशाना साधते हुए कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री को ‘‘ भारत माता की जय” नारे से भी बू आती थी और वह इसे संदेह की नजरों से देखते हैं. हाल में मनमोहन सिंह ने कहा था कि ‘‘भारत माता की जय” नारे का दुरुपयोग भारत के ‘‘उग्र और पूरी तरह से भावनात्मक” विचार को गढ़ने के लिए किया जा रहा है और इस विचार से लाखों निवासी और नागरिक बाहर हैं.

मनमोहन सिंह पर निशाना साधने के लिए मोदी की आलोचना करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी चिरपरिचित कूट भाषा का इस्तेमाल कर समस्या को और बढ़ा रहे हैं और आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी की आंतरिक बैठक को संबोधित करते हुए ‘भारत माता की जय’ जैसे शुभ नारे का इस्तेमाल मूर्खतापूर्ण और तुच्छ राजनीतिक बहस में नहीं किया जाना चाहिए.

सिंघवी ने कहा कि एक ओर आप ‘भारत माता की जय’ नारे पर बात कर रहे हैं और पार्टी की आंतरिक बैठक में अपनी कूट भाषा में इसे विकृत कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर दंगों के पीड़ितों को आपकी नाक के नीचे गिरफ्तार किया जा रहा है और जो अपराध करने वाले हैं उन्हें सुरक्षा मिल रही है.

इससे पहले राज्यसभा में उप नेता प्रतिपक्ष आनंद शर्मा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंह की टिप्पणी को सही भावना में नहीं लिया। संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि व्यंग्यात्मक होने के बजाय उन्हें यह समझना चाहिए कि डॉ.मनमोहन सिंह अपनी विनम्रता और बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते हैं. भारत माता उन सभी की है जो इस देश में रहते हैं. भारत माता की जय का नारा या तिरंगे का सर्वोच्च सम्मान होना चाहिए और इसका इस्तेमाल ध्रुवीकरण, विभाजन या हिंसा के लिए नहीं होना चाहिए.

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