Jitin Prasada News : जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया है जिसपर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का बयान सामने आया है. कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली ने कहा है कि जितिन प्रसाद की पार्टी के लिए वैचारिक प्रतिबद्धता शुरू से ही संदिग्ध थी. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को नेताओं को आगे बढ़ाते वक्त वैचारिक प्रतिबद्धता देखनी चाहिए. हालांकि आगे उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को ‘बड़ी सर्जरी’ की जरूरत है, उसे प्रतिस्पर्धी राजनीति की तैयारी करनी चाहिए और सिर्फ विरासत पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.
इधर जितिन प्रसाद ने कहा है कि एक बार भाजपा में आ गया हूं तो जीवन भर यहीं रहूंगा. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने के मुद्दे पर पत्रकारों से कहा कि जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली थी तो जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद ने विरोध किया था तथा विरोध में चुनाव लड़ा था और इसके बाद भी उन्हें पद दिया गया. बाद में जितिन प्रसाद को भी पार्टी में मौका दिया गया. वह युवा कांग्रेस के महासचिव, सांसद और फिर कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे.
सुप्रिया ने कहा कि जितिन प्रसाद कहते हैं कि वे 8-10 साल से विचार कर रहे थे. मेरा सवाल है कि क्या आप यह उस वक्त सोच रहे थे जब आप मंत्री थे? आपने जो किया है वह दुख देता है. जब देश कोरोना महामारी से घिरा है और केंद्र और यूपी सरकार के कुप्रबंधन से ये हालात पैदा हुए हैं, ऐसे में क्या आपने इनके साथ जाने की भूल नहीं की? क्या आप इनके साथ खड़े होकर सहज महसूस करेंगे?
कांग्रेस में अंदरूनी कलह : गौर हो कि जितिन प्रसाद ने ऐसे समय कांग्रेस छोड़ी है जब पार्टी की पंजाब एवं राजस्थान इकाइयों में कलह है और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों की इकाइयों में गुटबाजी नजर आ रही है. उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च, 2022 में विधानसभा चुनाव होना है और इसमें कांग्रेस प्रियंका गांधी वाद्रा के चेहरे के साथ अपने पुराने वोटबैंक- ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वर्ग में फिर से पैठ बनाने का प्रयास कर रही है.
जितिन प्रसाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मिले: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि जितिन प्रसाद को कांग्रेस से क्या कुछ नहीं मिला. इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया…उन्होंने कहा कि जितिन प्रसाद कुछ दिनों पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लखनऊ में मिले थे. अखिलेश के साथ उन्होंने बैठक भी की थी, लेकिन अब भाजपा चले गए इससे उनके राजनीतिक चरित्र का अंदाजा लगाया जा सकता है.
भाषा इनपुट के साथ