कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद पर बोला हमला, कहा- जम्मू-कश्मीर के लोगों को बना रहे मूर्ख

जयराम रमेश ने कहा, आजाद का लोगों से जुड़ाव रखने वाला नेता होने का दावा सच्चाई से दूर है. सांख्यिकीय आधार पर और तथ्यात्मक रूप से, वह विधानसभा उप-चुनाव में जीत हासिल करने के अलावा कभी भी कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2022 10:39 PM

कांग्रेस ने रविवार को गुलाम नबी आजाद पर पलटवार किया और उन पर अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह जम्मू कश्मीर के लोगों को मूर्ख बनाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि आजाद ने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों से अनुचित सहानुभूति हासिल करने के प्रयास में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का एक बार फिर प्रयास किया है.

गुलाम नबी आजाद ने अपने आकाओं द्वारा सौंपे गए कार्य को पूरा कर रहे

आजाद द्वारा जम्मू में एक रैली में किये गए दावों का खंडन करते हुए रमेश ने एक बयान में कहा, गुलाम नबी आजाद ने अपने आकाओं द्वारा सौंपे गए कार्य को पूरा करते हुए आज फिर जम्मू कश्मीर के लोगों की अनुचित सहानुभूति प्राप्त करने के प्रयास के तहत इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. रमेश ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने यह झूठ कहा कि उन्होंने पहला चुनाव लड़ा, जिसमें वह बिना किसी की मदद के अपने बूते कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए. रमेश ने कहा, यह एक सफेद झूठ है. 1980 में, वह महाराष्ट्र के वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे, जो कांग्रेस का गढ़ था. इससे पहले उन्हें अपने गृह राज्य (जम्मू कश्मीर) में एक विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था.

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आजाद का राजनीतिक जीवन राज्यसभा सदस्य के रूप में बीता

जयराम रमेश ने कहा, आजाद का लोगों से जुड़ाव रखने वाला नेता होने का दावा सच्चाई से दूर है. सांख्यिकीय आधार पर और तथ्यात्मक रूप से, वह विधानसभा उप-चुनाव में जीत हासिल करने के अलावा कभी भी कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि आजाद को उनके प्रथम चुनाव में 959 वोट मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी, इसके बाद उनके राजनीतिक जीवन का अधिकांश हिस्सा राज्यसभा सदस्य के रूप में बीता.

आजाद सत्ता लोलुप हैं : जयराम रमेश

रमेश ने अपने बयान में कहा, 2014 में, उन्होंने (आजाद ने) फिर से अपनी चुनावी किस्मत आजमाई और भाजपा के जितेंद्र सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े. आजाद को चुनाव में 60,000 से अधिक मतों के भारी अंतर से पराजित होना पड़ा. उन्होंने दावा किया, वह (आजाद) बड़े जनाधार वाले नेता नहीं हैं और न ही वह जमीन से जुड़े हुए हैं, वह वास्तव में सत्ता लोलुप हैं, जिनका कोई सिद्धांत नहीं है और ना ही उनका कोई नैतिक दायरा है. रमेश ने कहा, राहुल गांधी के खिलाफ अपने व्यक्तिगत हमलों में, उन्होंने फिर से अपने ही रुख का खंडन किया. 2013 में, उन्होंने स्वयं राहुल जी को पार्टी के नेता के रूप में समर्थन दिया था और फिर उन्होंने स्वयं जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर विकार रसूल वानी के नाम की सिफारिश की थी.

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद ने जम्मू में की विशाल रैली

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद रविवार को अपनी पहली रैली में अपनी भावी पार्टी के एजेंडे का जिक्र किया, जिसमें जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराना, राज्य के निवासियों के भूमि और रोजगार के अधिकारों की सुरक्षा तथा कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास शामिल हैं. आजाद ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर की जनता और नेताओं से परामर्श करने के बाद अपनी नयी पार्टी का नाम घोषित करेंगे. उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी का नाम न तो मौलाना की उर्दू भाषा में होगा और ना ही पंडित की संस्कृत भाषा में होगा.

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