भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के सीनियर नेता मनीष तिवारी ने चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LC) पर मौजूदा स्थिति के संबंध में तुरंत श्वेत पत्र प्रकाशित करने का सरकार से आग्रह किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने भाजपा नीत राजग सरकार के 9 साल पूरे होने पर उसके कार्य प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा- किसी भी सरकार के प्रदर्शन का पांच मानकों से मूल्यांकन किया जाता है – भारत की बाहरी सुरक्षा, इकॉनमी की हालत, सोशल हारमनी, आंतरिक सुरक्षा और दुनिया के साथ भारत के संबंध या इसकी विदेश नीति. इन सभी मानकों पर, भाजपा-राजग सरकार पिछले नौ साल में पूरी तरह से नाकाम रही है.
मनीष तिवारी ने कहा कि भारत पिछले कई दशकों की तुलना में आज सबसे अभूतपूर्व बाहरी सुरक्षा चुनौती का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा- चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तीन साल से, भारतीय क्षेत्र पर किए गए कब्जे को खाली नहीं किया है… आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि चीनी घुसपैठ के बारे में देश के सामने खुलकर बोलने के बदले, दुर्भाग्य से राजग सरकार ने सितंबर 2020 से संसद में इस मुद्दे पर एक बार भी चर्चा की अनुमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि संसद सदस्यों, यहां तक कि सत्तारूढ़ दल के सदस्यों द्वारा भी पूछे गए सभी सवालों को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर मंजूर नहीं किया गया.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- हम (कांग्रेस) मांग करते हैं कि राजग-भाजपा सरकार, चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर क्या स्थिति है? कितने बफर जोन बनाए गए हैं? उनमें से कितने भारतीय क्षेत्र में हैं? और हमने कितना भू-भाग खो दिया है? इस पर तुरंत श्वेत पत्र प्रकाशित करें. उन्होंने उन रिपोर्टों का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की जिनमें कहा गया है कि भारत ने नियंत्रण रेखा पर 65 पट्रोल पॉइंट्स (पीपी) में से 26 तक अपनी पहुंच खो दी है, जो करीब 2,000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र के बराबर है. तिवारी ने भारत की विदेश नीति को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर से सवाल किया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट मिलने की दिशा में पिछले 9 साल में कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
मनीष तिवारी ने सवाल किया- इसके अलावा, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता क्यों नहीं मिली? 2015 से, दक्षेस का कोई शिखर सम्मेलन क्यों नहीं हुआ है? भारत के पड़ोस में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सरकार क्या कर रही है? और, क्या बढ़ते रूसी-चीनी सम्मिलन के लिए भारत के पास कोई जवाबी रणनीति है? पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आंतरिक सुरक्षा का जिक्र करते हुए मणिपुर की स्थिति की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि इतने दिनों बाद जाकर केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) ने राज्य का दौरा करना उचित समझा है. उन्होंने साथ ही केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने से क्यों डरती है?