Congress: ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए श्रमिकों को कई शर्तों को पूरा करना होगा. जैसे आधार, मनरेगा जॉब कार्ड से जुड़ा होना चाहिए, आधार का नाम जॉब कार्ड पर दर्ज नाम में एक समान होना, बैंक खाता आधार से जुड़ा होना और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के साथ मैप किया जाना चाहिए. कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस नीतिगत बदलाव के होने वाले असर का डेटा उपलब्ध है.
लिव टेक (शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं का एक संघ) द्वारा मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि सभी पंजीकृत श्रमिकों में से 27.4 फीसदी (6.7 करोड़ श्रमिक) और 4.2 फीसदी सक्रिय श्रमिक (54 लाख श्रमिक) एबीपीएस के लिए योग्य नहीं होंगे. सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इस साल अप्रैल से सितंबर के दौरान मनरेगा के तहत पंजीकृत 84.8 लाख श्रमिकों का नाम हटा दिया गया है. एबीपीएस से संबंधित मुद्दे और नामों को हटाने से मनरेगा प्रभावित होगी. रमेश ने कहा कि मनरेगा में सृजित व्यक्ति दिवस में पिछले साल के मुकाबले 16.6 फीसदी की कमी आयी है.
सरकार तत्काल फैसले पर लगाए रोक
जयराम रमेश ने कहा कि यदि श्रमिकों के खाते एबीपीएस से नहीं जुड़े हैं तो उनका पंजीकरण नहीं हो रहा है. वैसे गांव जहां मनरेगा मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम ( एनएमएमएस) ऐप का समर्थन करने वाले स्मार्टफोन नहीं है वहां पर काम नहीं हो रहा है. इससे लाखों जरूरतमंद श्रमिकों को काम नहीं मिल पा रहा है. श्रमिकों के वेतन का भुगतान नियम के तहत 15 दिनों के अंदर करना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी, सर्वर समस्या या अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण एनएमएमएस ऐप पर श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती है. यही नहीं मौजूदा सरकार मनरेगा के बजट में भी लगातार कटौती कर रही है.
कांग्रेस ने न्यूनतम 400 रुपये रोजाना मजदूरी देने का वादा किया था. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान देश भर के मनरेगा कार्यकर्ताओं ने 14 फरवरी 2024 को झारखंड के गढ़वा जिले के रंका में आयोजित जनसुनवाई में मनरेगा से जुड़े इन मुद्दों को उठाया था. आज तक सरकार इन मुद्दों का हल नहीं कर पायी है. कांग्रेस पार्टी की मांग है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय तुरंत इस प्रणाली पर रोक लगाए, मनरेगा का आवंटन बढ़ाये और दैनिक मजदूरी में वृद्धि करें.