Congress: बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी अभियान की तैयारी
ईवीएम के बदले बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को कांग्रेस की ओर से भी जोर-शोर से उठाया जा रहा है. मंगलवार को कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित संविधान रक्षक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी ईवीएम के बदले बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग का समर्थन करती है.
Congress: हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस और विपक्षी दल एक बार फिर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं. हाल के वर्षों में विपक्षी दलों की ओर से ईवीएम को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए हैं. लेकिन चुनाव आयोग विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर चुका है. चुनाव आयोग के समक्ष विपक्षी दलों की ओर से ईवीएम हैकिंग के दावे को साबित करने की सभी चुनौती असफल साबित हो चुकी है. हालांकि हाल के वर्षों में विपक्षी दलों को इसी ईवीएम के जरिए विधानसभा चुनाव में जीत मिल चुकी है. लेकिन महाराष्ट्र चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस और अन्य दलों ने एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.
ईवीएम के बदले बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को कांग्रेस की ओर से भी जोर-शोर से उठाया जा रहा है. मंगलवार को कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित संविधान रक्षक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी ईवीएम के बदले बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग का समर्थन करती है. इसके लिए कांग्रेस देशव्यापी अभियान शुरू करेगी. कांग्रेस पार्टी की ओर से जैसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकाली गयी थी, वैसे ही बैलेट पेपर से चुनाव के लिए एक देशव्यापी अभियान चलाया जायेगा.
सुप्रीम कोर्ट ईवीएम पर सवाल को कर चुका है खारिज
देश में ईवीएम से हो रहे चुनावों में धांधली का आरोप लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी. मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए ईवीएम से जुड़ी जनहित याचिका को खारिज कर दिया. जनहित याचिका में देश में ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गयी थी. याचिका में अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क के बयान का हवाला देते हुए कहा गया था कि वे भी ईवीएम से छेड़छाड़ किए जाने की बात कह चुके है. ऐसे में ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाना चाहिए. दुनिया के विकसित देशों में भी बैलेट पेपर से चुनाव हो रहे हैं. लेकिन पीठ ने याचिकाकर्ता की दलील को खारिज कर दिया.
गौरतलब है कि वर्ष 1982 में पहली बार केरल के परूर विधानसभा क्षेत्र के कुछ मतदान केंद्रों पर इसका इस्तेमाल किया गया. लेकिन कोई कानून नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम चुनाव को खारिज कर दिया. वर्ष 1989 में जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 में संशोधन कर ईवीएम से चुनाव को मंजूरी दी गयी. लंबी चर्चा के बाद वर्ष 1998 में ईवीएम से चुनाव कराने पर आम सहमति बनी और वर्ष 2000 से सभी चुनाव ईवीएम के जरिए कराए जा रहे हैं.
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