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चुनावी राज्यों में कांग्रेस की राह आसान नहीं, CAA, किसान आंदोलन को भुनाने की कवायद में जुटी पार्टी

Congress, electoral states, CAA, farmer movement, puducherry election, bengal election, kerala chunav, tamil nadu chunav कांग्रेस एक तरफ जहां चुनावी राज्यों में सत्ता विरोधी लहर के साथ ही नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नए कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों के विरोध को भुनाने की कोशिश में हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी की राह में रोड़े भी हैं.

कांग्रेस एक तरफ जहां चुनावी राज्यों में सत्ता विरोधी लहर के साथ ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नए कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों के विरोध को भुनाने की कोशिश में हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी की राह में रोड़े भी हैं.

ऐसे में कांग्रेस चुनावी राज्यों में जनता के गुस्से की आंच पर वोट की रोटी सेंकने की कवायद में जुटी हुई है. पार्टी को लगता है कि केरल में वह सत्तारूढ़ एलडीएफ पर भारी पड़ने जा रही है. हालांकि, अन्य राज्यों असम, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के अलावा पुडुचेरी में उसे गठबंधन सहयोगियों से समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस गठबंधन सहयोगियों इंडियन सेक्युलर फ्रंट और वाम दलों के बीच अब तक सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है जिनकी निगाहें राज्य के 30 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं पर है. असम में कांग्रेस का बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ समझौता अंतिम रूप नहीं ले सका है जोकि चुनाव में उसकी प्रमुख सहयोगी है. वहीं, तमिलनाडु में कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि पुरानी सहयोगी द्रमुक के साथ मिलकर वह अन्नाद्रमुक को सत्ता से बाहर कर पाएगी.

पुडुचेरी में हाल ही में सरकार गिरने के बाद कांग्रेस पार्टी कमजोर पड़ी है और अब उसे आक्रामक भाजपा का मुकबला करना है जोकि जीत का रास्ता बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. हालांकि, तमिलनाडु में सीट बंटवारे की बातचीत शुरू हो गई है और कांग्रेस इस बार 50 सीटों की मांग कर रही है, जिसे देने में द्रमुक हिचक रही है.

सूत्रों का कहना है कि द्रमुक वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव के साथ ही हालिया चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का हवाला दे रही है. 2016 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें वो मात्र आठ सीटें जीत पाई थी. विशेलषकों का मानना है कि कांग्रेस को कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने और राहुल गांधी की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए कम से कम एक राज्य में शानदार प्रदर्शन करना होगा.

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इससे पहले शनिवार को ही जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं ने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में अविश्वास जाहिर किया था. इन नेताओं ने दावा किया था कि पार्टी कमजोर पड़ रही है.

राहुल गांधी और उनके रणनीतिकारों को भरोसा है कि वे तमिलनाडु और केरल में सत्ता पर काबिज हो सकते हैं क्योंकि इन राज्यों में अमूमन हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन देखा गया है. उन्हें असम में भी सत्तारूढ़ भाजपा को परास्त करने का पूरा भरोसा है. उधर, पश्चिम बंगाल में हाल यह है कि जहां भाजपा और तृणमूल कांग्रेस अपने चुनावी नारे जारी कर चुके हैं, वहीं, कांग्रेस और वाम दल संयुक्त रणनीति पर मंथन कर रहे हैं.

Posted By – Arbind kumar mishra

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