Congress: आम आदमी पार्टी के पुराने दांव आजमा रही है कांग्रेस
कांग्रेस ने अलका लांबा को मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारकर साफ कर दिया है कि इस बार कांग्रेस चुनाव में आम आदमी पार्टी को वॉकओवर देने वाली नहीं है. कई अन्य सीटों पर भी आप के मंत्रियों के खिलाफ कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है.
Congress: दिल्ली में खोए जनाधार को हासिल करने के लिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मजबूत चेहरों पर दांव लगा रही है. आम आदमी पार्टी के उभार के कारण दिल्ली में कांग्रेस का सियासी जनाधार कम होता गया. वर्ष 1998 से वर्ष 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस का जनाधार आम आदमी पार्टी ने धीरे-धीरे हथिया लिया. हालांकि वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा, लेकिन खास सफलता नहीं मिल पायी. आम आदमी पार्टी के उभार का नुकसान कांग्रेस को सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पंजाब, गुजरात, गोवा जैसे राज्यों में भी उठाना पड़ा है. ऐसे में कांग्रेस अब पुराने जनाधार को हासिल करने के लिए दिल्ली से ही आम आदमी पार्टी को बेदखल करने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस नेता अजय माकन पहले ही कह चुके हैं कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी.
भ्रष्टाचार को लेकर आक्रामक कांग्रेस
कांग्रेस के रवैये से आम आदमी पार्टी बैचेन दिख रही है. इसलिए आम आदमी पार्टी के नेता कांग्रेस पर भाजपा को मदद पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पुरानी रणनीति को अपनाने का फैसला लिया है. जिस प्रकार आम आदमी पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सत्ता हासिल की थी. वही काम अब कांग्रेस कर रही है. कांग्रेस अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर आक्रामक है. चुनाव के दौरान कांग्रेस केजरीवाल और अन्य नेताओं पर भ्रष्टाचार में शामिल होने, दिल्ली की दुर्दशा और अधूरे वादों को लेकर आक्रामक अभियान चला रही है.
आप के प्रमुख नेताओं को घेरने की रणनीति
कांग्रेस ने आम आदमी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को चुनाव मैदान में उतारा है. रणनीति के तहत कांग्रेस ने यह कदम उठाया है. इसके अलावा मनीष सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली के पूर्व मेयर फरहाद सूरी, गोपाल राय के खिलाफ हाजी इशहाक और अब मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को उतारकर साफ कर दिया है कि इस बार कांग्रेस चुनाव में आम आदमी पार्टी को वॉकओवर नहीं देने वाली है. क्योंकि शुरुआत में आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के खिलाफ अपने प्रमुख चेहरों को मैदान में उतारकर माहौल बनाया था. शीला दीक्षित के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने चुनाव लड़ा था. इस बार कांग्रेस उसी रणनीति को अपना रही है. कई अन्य सीटों पर भी आप के मंत्रियों के खिलाफ कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है.
क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले उम्मीदवारों काे प्राथमिकता
पिछले दो विधानसभा चुनाव में दिल्ली की एक भी सीट न जीतने वाली कांग्रेस इस चुनाव को पूरी गंभीरता से ले रही है. हर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है. कांग्रेस ने इस बार क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है. कांग्रेस का मानना है कि आम आदमी पार्टी के कमजोर होने से ही वह दिल्ली और अन्य राज्यों में पुराना जनाधार हासिल कर सकती है. ऐसे में पार्टी सबसे पहले आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बेदखल करने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी नेताओं का मानना है कि दिल्ली में सत्ता से बाहर होते ही आम आदमी पार्टी पंजाब में भी सत्ता से बाहर होगी और इसका जनाधार कमजोर हो जायेगा. जल्द ही दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव प्रचार में उतरने वाले हैं.