महबूबा मुफ्ती की हिरासत बढ़ने पर राहुल-प्रियंका का वार,कहा- केंद्र सरकार का रवैया तानाशाही
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हिरासत को केंद्र सरकार ने शुक्रवार को तीन महीने तक के लिए और बढ़ा दिया है. केंद्र ने उन्हें जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद रखा है. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय से महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं. अब इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हिरासत को केंद्र सरकार ने शुक्रवार को तीन महीने तक के लिए और बढ़ा दिया है. केंद्र ने उन्हें जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद रखा है. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय से महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं. अब इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
प्रियंका ने ट्वीट में लिखा कि हिंदुस्तान के संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखने वाले नेताओं के साथ केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा रवैया तानाशाही का प्रतीक है. प्रियंका ने आगे लिखा कि बीजेपी सरकार लोकतंत्र की सबसे मजबूत शैली ‘बातचीत’ से नजरें चुराने के लिए नेताओं की नजरबंदी को अपना हथियार बना रही है. मुफ्ती को नजरबंद रखना आलोकतंत्रिक और असंवैधानिक है. उन्हें रिहा करना चाहिए.
हिंदुस्तान के संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखने वाले नेताओं के साथ केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा रवैया तानाशाही का प्रतीक है।
भाजपा सरकार लोकतंत्र की सबसे मजबूत शैली 'बातचीत' से नजरें चुराने के लिए नेताओं की नजरबंदी को अपना हथियार बना रही है।..1/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 2, 2020
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने लिखा कि लोकतंत्र को उस समय ज्यादा नुकसान पहुंचता है जब भारत सरकार गैरकानूनी तरीके से सियासी दलों के नेताओं को हिरासत में लेती है. ये बेहद सही समय है जब महबूबा मुफ्ती को छोड़ा जाए. ये कोई पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस नेता केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। इससे पहले उन्होंने भारत-चीन के बीच तनाव, कोरोना संकट और अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं.
मुफ्ती जन सुरक्षा के लिये खतरा कैसे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, पीएसए के तहत महबूबा मुफ्ती की हिरासत को बढ़ाया जाना कानून का दुरूपयोग और प्रत्येक नागरिक को प्राप्त संवैधानिक अधिकारों पर हमला है. चिदंबरम ने कहा कि 61 वर्षीय एक पूर्व मुख्यमंत्री , चौबीसों घंटे सुरक्षा गार्ड की पहरेदारी में रहने वाली शख्स, जन सुरक्षा के लिये खतरा कैसे हैं? पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पीडीपी नेता (महबूबा) ने सशर्त रिहा किये जाने की पेशकश ठुकरा कर सही की क्योंकि कोई भी आत्मसम्मान रखने वाला नेता यही करता. उन्होंने कहा कि उनकी हिरासत के लिये दिया गया एक कारण–उनकी पार्टी के झंडा का रंग– हास्यास्पद है.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत निरुद्ध पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हिरासत शुक्रवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी. गृह विभाग के आदेशानुसार मुफ्ती गुपकर रोड पर अपने आधिकारिक आवास फेयरव्यू बंगले में अगले तीन महीने और हिरासत में ही रहेंगी. इस बंगले को उप जेल घोषित किया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री की मौजूदा हिरासत की अवधि इस साल पांच अगस्त को खत्म हो रही थी.
सज्जाद गनी लोन को रिहा किया गया
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पीएसए के तहत निरुद्ध पीडीपी अध्यक्ष और भाजपा की सहयोगी रहीं महबूबा मुफ्ती की हिरासत शुक्रवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी जबकि पिछली गठबंधन सरकार के एक अन्य सहयोगी सज्जाद गनी लोन को रिहा कर दिया. पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने से पहले मुफ्ती और लोन समेत सैकड़ों लोगों को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था.
Posted By_ Utpal kant