रायबरेली टू राज्यसभा : ऐसा रहा है सोनिया गांधी का सियासी सफर
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने राज्यसभा के लिए नामांकन भर दिया है. उन्होंने राजस्थान से पार्टी की तरफ से नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके साथ कई कांग्रेस के दिग्गज नेता भी मौजूद थे. इस नामांकन को बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है.
Sonia Gandhi In Rajya Sabha : कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने राज्यसभा के लिए नामांकन भर दिया है. उन्होंने राजस्थान से पार्टी की तरफ से नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके साथ कई कांग्रेस के दिग्गज नेता भी मौजूद थे. पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत सहित कई अन्य नेता वहां मौजूद थे. इस नामांकन को बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. रायबरेली से लोकसभा चुनाव में कदम रखने वाली नेता सोनिया गांधी को आज तक हार का सामना नहीं करना पड़ा है. ऐसे में आइए अब चर्चा करते है सोनिया गांधी का रायबरेली से राज्यसभा तक का सियासी सफर…
1999 से लगातार लोकसभा सदस्य
जानकारी हो कि साल 1999 में सक्रिय रूप से सोनिया गांधी ने भारत की राजनीति कदम रखा था. उस वक्त हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीतकर आईं. साल 1999 से लगातार लोकसभा सदस्य के रूप में कार्य किया है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
सोनिया गांधी ने 19 साल तक पार्टी की बागडोर संभाली
जानकारी हो कि सोनिया गांधी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी और बहु दोनों है. राजीव गांधी की पत्नी और इंदिरा गांधी की बहु होने के अलावा उन्होंने खुद भी राजनीति में बहुत कुछ हासिल किया है और कांग्रेस पार्टी में कई बड़े और अहम पद संभाले है. बता दें कि उन्हें भारतीय राजनीति की सबसे सफल बहुओं में भी गिना जाता है. जानकारी हो कि कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पहले कार्यकाल में सोनिया गांधी ने 19 साल तक पार्टी की बागडोर संभाली थी. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद एक साल से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर काम देख रही थी.
Also Read: राजस्थान से सोनिया गांधी ने भरा राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन, रायबरेली को कहा ‘अलविदा’
राजनीति में नहीं आना चाहती थी सोनिया गांधी!
जानकारी हो कि सोनिया 1998 से 2017 तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं. वहीं, 2004 में उन्होंने पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व भी किया. हालांकि, कहा यह भी जाता है कि 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी राजनीति में आने को तैयार नहीं थीं. लेकिन, सियासत में उनकी भागीदारी धीरे-धीरे शुरू हुई. जानकारी हो कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में लिखा था कि सोनिया को कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय करने के लिए पार्टी के कई नेता मनाने में लगे थे.