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पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 में ममता बनर्जी के खिलाफ वामदलों के साथ कांग्रेस का गठजोड़, अधीर रंजन चौधरी बोले : बाजी पलट देंगे

पश्चिम बंगाल के नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी का वाम दलों के साथ गठजोड़ 2021 के विधानसभा चुनावों में ‘बाजी पलटने वाली’ साबित होगा. उन्होंने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चेताया कि उनके लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी का वाम दलों के साथ गठजोड़ 2021 के विधानसभा चुनावों में ‘बाजी पलटने वाली’ साबित होगा. उन्होंने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चेताया कि उनके लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कटु आलोचक अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनका ध्यान टीएमसी और भाजपा के वोट प्रतिशत में सेंध लगाने और प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को बहाल करने पर होगा. उन्होंने कहा कि दोनों दलों की ‘संप्रदायवादी राजनीति का काफी समय से असर’ धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर देखा जा रहा है.

यह पूछे जाने पर कि क्या त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस टीएमसी को समर्थन देगी, श्री चौधरी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. कहा, ‘काल्पनिक सवालों का जवाब तभी दिया जा सकता है, जब ऐसी जरूरत पड़े.’

प्रदेश में वर्ष 1967 के विधानसभा चुनावों में आखिरी बार यह स्थिति बनी थी, जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. तब बांग्ला कांग्रेस और माकपा ने सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाया था.

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टीएमसी सरकार की ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ को बंगाल में भाजपा के उदय के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता श्री चौधरी ने कहा कि वह विपक्षी खेमों में चले गये पार्टी के पुराने नेताओं को वापस लाकर पार्टी को मजबूत करने का प्रयास करेंगे.

तृणमूल और भाजपा ने किया सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

श्री चौधरी ने कहा, ‘बंगाल को हमेशा से उसकी धर्मनिरपेक्षता के लिए जाना जाता है. पिछले कुछ वर्षों में टीएमसी और भाजपा दोनों ने हालांकि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को आगे बढ़ाया है और राज्य को हमेशा से प्रिय रहे धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों को ग्रहण लगाया है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि वाम मोर्चा-कांग्रेस का गठजोड़ बंगाल की राजनीति में बाजी पलटने वाला साबित हो सकता है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से अलग, मैं वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों को टीएमसी और भाजपा के लिए आसान नहीं होने दूंगा.’

प्रदेश में अगले साल अप्रैल-मई में संभावित विधानसभा चुनावों में कड़े त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद व्यक्त करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने हालांकि उन बातों को दरकिनार किया कि त्रिकोणीय मुकाबले में आमतौर पर सत्ताधारी दल को फायदा होता है.

टीएमसी के वोट बैंक को भी तोड़ेंगे

उन्होंने कहा, ‘त्रिकोणीय मुकाबले में सत्ताधारी दल को फायदा होने का सिद्धांत गलत है. राजनीति में दो और दो हमेशा चार नहीं होते. हम सत्ताविरोधी मत प्रतिशत में सेंध लगाने के साथ ही टीएमसी के वोट बैंक को भी तोड़ेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के कई वफादारों ने पिछले कुछ सालों में दूसरे दलों का दामन थाम लिया था. हम उन्हें वापस लाने का प्रयास करेंगे. वाम-कांग्रेस गठजोड़ विकास, भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे पर लड़ेगा.’

वहीं, टीएमसी और भाजपा के एक ही सिक्के का दो पहलू होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जान-बूझकर तुष्टीकरण की राजनीति का रास्ता अपनाया, जिससे भगवा दल के इसके विपरीत ध्रुवीकरण की राजनीति करने का मार्ग प्रशस्त हो.

उन्होंने दावा किया कि सत्ताधारी दल ने खुद को ‘मुसलमानों के मसीहा’ के तौर पर पेश किया और भाजपा ने खुद को ‘हिंदुओं का रक्षक’ बताया और उन्होंने कांग्रेस व वामदलों जैसी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को कमजोर किया.

वामदल के साथ मिलकर करेंगे चुनावों में प्रदर्शन

पिछले लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद वामदल और कांग्रेस साथ मिलकर काम कर रहे हैं, फिर चाहे वह उपचुनाव लड़ना हो या किसी जनआंदोलन का आयोजन. श्री चौधरी ने कहा, ‘हम गठबंधन को अंतिम रूप देने के कगार पर हैं. दोनों दलों के कार्यकर्ता भी गठबंधन के पक्ष में हैं.’

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कांग्रेस-वाम दल ने प्रदेश की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2016 में हुए चुनावों में 76 सीटें जीतीं थीं, जबकि टीएमसी को 211 और भाजपा को महज 3 सीटें मिलीं थीं. हालांकि, हाल के लोकसभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की और उसे 41 प्रतिशत मत हासिल हुए थे.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 22 सीटें मिली थीं. कांग्रेस के खाते में छह प्रतिशत मत के साथ दो सीटें आयीं थीं, जबकि वामदलों का खाता भी नहीं खुला. हालांकि, वामदलों को कांग्रेस से एक फीसदी ज्यादा यानी सात प्रतिशत मत मिले थे.

Posted By : Mithilesh Jha

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