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Congress: …तो 50 साल तक विपक्ष में ही रहेगी कांग्रेस, गुलाम नबी आजाद ने क्यों दिया अपनी ही पार्टी के लिए इतना बड़ा बयान?

Congress News, Congress Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस में नेतृत्व बदलने की मांग को लेकर लिखी गई चिट्ठी के बाद से पार्टी के अंदरखाने सियासी तूफान जारी है. कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की बहस तेज हो गयी है. कई वरिष्ठ नेता इसको लेकर मुखर हैं. सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में से एक गुलाम नबी आजाद ने अब कहा है कि अगर संगठन का चुनाव जीत कर आने वाले लोग कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगे तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में ही बैठी रहेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2020 10:50 AM

Congress News, Congress Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस में नेतृत्व बदलने की मांग को लेकर लिखी गई चिट्ठी के बाद से पार्टी के अंदरखाने सियासी तूफान जारी है. कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की बहस तेज हो गयी है. कई वरिष्ठ नेता इसको लेकर मुखर हैं. सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में से एक गुलाम नबी आजाद ने अब कहा है कि अगर संगठन का चुनाव जीत कर आने वाले लोग कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगे तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में ही बैठी रहेगी.

उन्होंने इस बयान के जरिए कांग्रेस नेतृत्व को एक कड़ा संदेश दिया है. पत्र लिखे जाने को लेकर कहा कि उनकी मंशा केवल पार्टी को मजबूत बनाने की थी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने कहा कि जो अधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं उन्हें मालूम है कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे.

राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता आजाद ने कहा है कि एक प्रतिशत लोग भी इस बात के समर्थन में नहीं हो सकते हैं कि अध्यक्ष पद पर किसी को बिना चुनाव के नियुक्त कर दिया जाए सदस्य आजाद ने कहा कि जो कोई भी वास्तव में कांग्रेस का हित चाहता है, वह पत्र का स्वागत करेगा. उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचित लोग कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे तो पार्टी हित में होगा, अन्यथा कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी.

वफादारी का दावा करने वाले लोग कर रहे सस्ती राजनीति

आजाद ने सुझाव दिया कि राज्य कांग्रेस प्रमुखों, जिला अध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों और कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव किया जाना चाहिए. चुनाव का यह लाभ होता है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी आपके साथ खड़ी होती है. उन्होंने तर्क दिया कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 फीसद आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं. एक व्यक्ति जिसे 51 फीसद वोट मिलेंगे, अन्य को 10 या 15 फीसद वोट मिलेंगे. जो व्यक्ति जीतता है और अध्यक्ष पद का प्रभार ग्रहण करता है, इसका मतलब है कि 51 फीसद लोग उसके साथ हैं.

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चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी में 51 फीसद लोग आपके पीछे रहते हैं. अभी, अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति को एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं मिल सकता है. यदि सीडब्ल्यूसी सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता है. इसमें क्या दिक्कत है? उन्होंने उन नेताओं की कड़ी आलोचना की जो कांग्रेस पार्टी में संगठन चुनाव का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग वफादारी का दावा कर रहे हैं, वे वास्तव में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक हैं.

चुनाव की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा, “जो दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे, वे सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा. बता दें कि सांसद और पूर्व मंत्रियों सहित 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा अंतरिम पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र में व्यापक सुधार, निष्पक्ष आंतरिक चुनाव, सामूहिक निर्णय लेने और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की गई थी. सीडब्लूसी की बैठक में इस पत्र पर हंगामा हुआ था.

Posted By: Utpal kant

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