Congress On Electoral Bond : कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए गुरुवार को कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह उम्मीद भी जताई कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर भी ध्यान देगा कि चुनाव आयोग ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर विपक्षी दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है. उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बांड योजना को सूचना का अधिकार कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान का भी उल्लंघन माना है. लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है और यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा.” उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ‘चंदादाताओं’ को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की काफ़ी प्रचारित-प्रसारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान का भी उल्लंघन माना है। चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिए जाने का फ़ैसला स्वागत योग्य है। यह नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। इस फ़ैसले की… https://t.co/ZWHAPDpdIv
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 15, 2024
साथ ही जयराम रमेश ने कहा, “हमें यह भी उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है. यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है. “
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उन्होंने दावा किया, “चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया. इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया.” अशोक गहलोत के कहा, “मैंने बार-बार कहा कि चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है. आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि चुनावी बॉन्ड राजग सरकार का एक बड़ा घोटाला है.” उन्होंने कहा, “यह फैसला देर से आया, पर यह देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद जरूरी फैसला है. उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद.”
इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है। इलेक्टोरल बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया। इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया। मैंने बार-बार कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड आजाद… https://t.co/usCbyT7b5g
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 15, 2024
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है. चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था. इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था.