नॉर्थ ईस्ट में मोदी मैजिक को कैसे कम करेगी कांग्रेस ? मल्लिकार्जुन खरगे ने नेताओं के साथ किया मंथन
नॉर्थ ईस्ट में आठ राज्य हैं. इस क्षेत्र में कुल 25 लोकसभा की सीट हैं, जिनमें असम में सबसे ज्यादा 14 सीट हैं. कांग्रेस ने शनिवार को नॉर्थ ईस्ट के नेताओं की बैठक बुलायी थी. इस बैठक में कई चीजों पर चर्चा की गयी और पार्टी को मजबूत करने पर विचार किया गया.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर ऐसा लगता है कि कांग्रेस तैयारी में जुट गयी है. यही वजह है कि शनिवार को एक अहम बैठक बुलायी गयी. दरअसल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में AICC मुख्यालय में नॉर्थ ईस्ट राज्यों के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक की. खबरों की मानें तो इस बैठक में चुनाव को लेकर चर्चा की गयी, साथ ही पार्टी को इन क्षेत्रों में कैसे मजबूत किया जाए, इसपर विचार किया गया.
इस बैठक में शामिल नेताओं ने मणिपुर की हिंसा को लेकर चिंता जतायी. कांग्रेस मुख्यालय में हुई इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, सिक्किम, त्रिपुरा और नगालैंड के प्रभारी अजय कुमार, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के अलावा मेघालय, अरुणाल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा व सिक्किम के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तथा कुछ अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए. कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि इस बैठक में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की गयी. मणिपुर के बिगड़े हालात सभी नेताओं के लिए चिंता का सबब थे. आइए आपको उत्तर पूर्वी राज्यों के बारे में विस्तार से बताते हैं.
एक नजर नॉर्थ ईस्ट के आठ राज्यों पर डालें तो इस क्षेत्र में कुल 25 लोकसभा की सीट हैं, जिनमें असम में सबसे ज्यादा 14 सीट हैं. अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर तथा त्रिपुरा में लोकसभा की दो-दो सीटें हैं, वहीं मिजोरम, नागालैंड तथा सिक्किम की बात करें तो इन प्रदेशों में एक-एक सीट है. आपको बता दें कि मिजोरम में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस ने भी कमर कस ली है. पूर्वोत्तर में 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी होगी. यदि इन सीटों पर भाजपा को चुनौती देनी है तो कांग्रेस को हर एक सीट पर अपनी मौजूदगी दिखानी होगी.
मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर
नॉर्थ ईस्ट के राज्य मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है. इस मुद्दे को कांग्रेस लोकसभा चुनाव में उठा सकती है. हिंसा प्रभावित क्षेत्र का कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दौरा कर चुके हैं. वहां राहुल गांधी ने शिविर में मौजूद लोगों से मुलाकात की और उनका हाल जाना. कांग्रेस मणिपुर पर पीएम मोदी की चुप्पी पर लगातार सवाल उठा रही है. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री हिंसा के बाद मणिपुर पहुंचे थे.
Congress President Shri @kharge & AICC General Secretary (Org.) Shri @kcvenugopalmp presided over a meeting of leaders from the North East states—Meghalaya, Arunachal Pradesh, Nagaland, Manipur, Tripura & Sikkim—to prepare for the Lok Sabha elections 2024.
The deteriorating… pic.twitter.com/0Q4M4QDkKe
— Congress (@INCIndia) July 15, 2023
त्रिपुरा से कांग्रेस को थी उम्मीद
यहां चर्चा कर दें कि इस साल मेघालय में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 5 सीटें जरूर मिलीं लेकिन कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद त्रिपुरा से थी. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो उसने त्रिपुरा में लेफ्ट फ्रंट से हाथ कांग्रेस ने मिलाया था जबकि दूसरा ये कि कांग्रेस उम्मीद कर रही थी कि त्रिपुरा में एंटी इनकम्बेंसी लहर काम करेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं देखने को मिला. भाजपा की चार सीटें कम जरूर हुई लेकिन उसका फायदा कांग्रेस से अलग होकर नयी पार्टी बनाने वाले प्रद्योत देब बर्मन को हुआ. प्रद्योत की पार्टी त्रिपुरा इंडिजिनयस रीजनल प्रोग्रेसिव एलायंस यानि टीपरा ही कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह विधानसभा चुनाव में बनी.
भाजपा की नजर पूर्वी और पूर्वोतर के राज्यों पर
भाजपा नॉर्थ और नॉर्थ ईस्ट भारत के राज्यों पर ज्यादा फोकस कर रही है. इस क्षेत्र के 12 राज्यों के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा चुनाव के संबंध में रणनीति बनाने के लिए गुवाहाटी में पिछले दिनों बैठक की. बैठक की बात करें तो इसमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी. एल. संतोष, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, पार्टी के सांसद तथा विधायक और राज्य इकाई के अध्यक्ष सहित अन्य नेता पहुंचे थे. बैठक में नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में जून में एक महीने तक चलाये गये ‘महा जन संपर्क अभियान’ के प्रभाव पर भी विस्तार में चर्चा की गयी.
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नॉर्थ ईस्ट में पीएम मोदी की दूरगामी रणनीति
नॉर्थ ईस्ट की बात करें तो पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने इस क्षेत्र में खुद को काफी मजबूत किया है. नॉर्थ ईस्ट में भाजपा का गढ़ मजबूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरगामी रणनीति की बदौलत हुआ है. मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने थे उस वक्त नॉर्थ ईस्ट के किसी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं थी. 2003 में एक बार अरुणाचल प्रदेश में कुछ वक्त के लिए भाजपा सरकार बनाने में सफल हुई थी लेकिन उसके बाद पूर्वोत्तर में भाजपा का ज्यादा वजूद नहीं था. 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने नॉर्थ ईस्ट पर अपना ध्यान लगाया. नॉर्थ ईस्ट को देश की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया जिसकी वजह से भाजपा वहां मजबूती के साथ खड़ी होती चली गयी. पहले पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में भाजपा सरकार बनाने में सफल रही उसके बाद पार्टी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा.
नॉर्थ ईस्ट के 8 में से 6 राज्यों पर भाजपा काबिज
वर्तमान समय की बात करें तो पूर्वोत्तर के आठ में से छह राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दल सत्ता पर काबिज हैं. नॉर्थ ईस्ट में 25 लोकसभा की सीटें हैं. यदि अगले लोकसभा चुनावों में दूसरे राज्यों में भाजपा को थोड़ा बहुत नुकसान पहुंचता है तो पूर्वोत्तर से इसकी भरपाई हो जाएगी. ऐसा जानकार बताते हैं. इस साल त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बड़े मायने हैं.