Congress Politics News: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जल्द ही कांग्रेस का हिस्सा बन सकते हैं. कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर के लिए कांग्रेस ने जिम्मेदारी भी तय कर दी है. बता दें कि बीते दिनों प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैक टू बैक बैठकें की हैं. इस दौरान 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में पार्टी की अंदरूनी खींचतान को भी खत्म करने की कोशिश में जुटी हैं. इसी कड़ी में प्रशांत किशोर की पार्टी में अहम भूमिका निभाए जाने की संभावना जताई जा रही है.
हालांकि, प्रशांत किशोर ने अभी तक कांग्रेस की राज्य इकाइयों में गुटबाजी पर कोई बात नहीं की है. सियासी गलियारों में चर्चा गरम है कि कांग्रेस में उनको इसलिए शामिल किया जा रहा है, ताकि लोकसभा चुनाव 2024 में जीत का रास्ता तलाशा जा सकें. साथ ही पार्टी से जुड़े कामों को देखने के लिए गांधी परिवार से इतर भी एक नेता मौजूद हो. बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के लिए सोनिया गांधी के एजेंडे में राजस्थान पहले नंबर पर है, जहां सचिन पायलट के अपने अलग दावे हैं. सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, राजस्थान में पार्टी के अंदर की गुटबाजी खत्म करने के लिए उदयपुर में चिंतन शिवर सत्र की योजना है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एआईसीसी सचिवालय में वरिष्ठ पद संभालने के लिए कहा जाएगा? इससे भी अहम बात यह है कि क्या 70 वर्षीय गहलोत इसे स्वेच्छा से स्वीकार करेंगे?
हाल के दिनों में दिल्ली में सोनिया गांधी और सचिन पायलट के मुलाकात के बाद राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. इस बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया में अपनी बात रखते हुए कहा कि उनका इस्तीफा स्थायी रूप से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है. जब कांग्रेस मुख्यमंत्री को बदलने का फैसला करेगी, तो किसी को संकेत नहीं मिलेगा. बदलते सीएम पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया जाएगा. कांग्रेस आलाकमान निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है.
सोनिया गांधी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के सामने अपने प्रजेंटेशन में प्रशांत किशोर ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विशेष रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जीत पर जोर दिया था. यहां कांग्रेस सीधे तौर पर सरकार या विपक्ष में है. अब बड़ा सवाल यह है कि राजस्थान में कांग्रेस, गहलोत या सचिन पायलट किसके नेतृत्व में अधिक संसदीय सीटें जीत पाएगी? पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के प्रभारी एआईसीसी महासचिव अजय माकन ने एक विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए पायलट ने सोनिया को किसी के भी साथ काम करने का आश्वासन दिया है.
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिमाग में पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने की घटना चल रही है. जहां विधानसभा चुनाव से केवल 114 दिन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया था. एआईसीसी प्रमुख को इनपुट मिल रहे हैं कि अगर राजस्थान में वास्तव में मुख्यमंत्री बदलने की आवश्यकता है तो यह विधानसभा चुनावों से कम से कम डेढ़ साल पहले होना चाहिए. ऐसे में मध्य मई से जून 2022 के बीच का समय महत्वपूर्ण हो जाता है.
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में पार्टी इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी कथित तौर पर विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप पद छोड़ने की पेशकश की है. कहा जाता है कि अनुभवी और साधन संपन्न कमलनाथ 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में एक बार फिर पार्टी का नेतृत्व करने के इच्छुक हैं और अपनी टीम में युवा नेताओं को आगे लाने के लिए तैयार हैं. राजस्थान की तरह ही जून 2022 में मध्य प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव हैं, यहां भी कांग्रेस की आंतरिक कलह को दूर किया जा सकता है.