कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 22 साल बाद चुनावी मुकाबले की प्रबल संभावना के बीच गुरुवार को अधिसूचना जारी कर दी गयी है इसके बाद पार्टी के अंदर की राजनीति गरम है. अशोक गहलोत कांग्रेस के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी का त्याग करना पड़ सकता है.
कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्तूबर है. एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्तूबर को मतदान होगा. माना जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बीच मुकाबला होगा.
Rajasthan CM Ashok Gehlot says, "It's decided that I'll contest (for the post of Congress President). I'll fix the date soon (to file his nomination). It's a need for the Opposition to be strong, looking at the current position of the country." pic.twitter.com/QwYlRhqYpM
— ANI (@ANI) September 23, 2022
इस बीच, राहुल गांधी ने गुरुवार को कोच्चि में पार्टी अध्यक्ष पद के दावेदारों को सलाह दी. उन्होंने गहलोत के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद साथ रखने की इच्छा पर कहा कि उदयपुर अधिवेशन में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ पर जो फैसला हुआ था, वह कायम रहेगा. इससे पहले, गहलोत ने कहा था कि अध्यक्ष का पद ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के दायरे में नहीं आता, लेकिन इतिहास में कोई कांग्रेस अध्यक्ष सीएम नहीं रहा, इसलिए फैसला करना पड़ेगा.
राजस्थान CM अशोक गहलोत ने कहा कि जब सब कांग्रेस कमेटी ये प्रस्ताव पास कर रही हैं कि आपको(राहुल गांधी) अध्यक्ष बनना चाहिए तो फिर आप उसे स्वीकार कीजिए. मैंने उनसे काफी बात करने की कोशिश की. उनका कहना है कि हमने फैसला कर लिया कि इस बार कोई गांधी परिवार का व्यक्ति उम्मीदवार नहीं बनेगा. आगे गहलोत ने कहा कि तारीख तो मैं अभी जाकर पक्की करूंगा. ये तय है कि मैं चुनाव लड़ूंगा (कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए). जो हालात देश के हैं उसके लिए प्रतिपक्ष का मज़बूत होना बहुत जरूरी है और उसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
राहुल ने कहा कि अध्यक्ष का पद सिर्फ एक संगठनात्मक पद नहीं है, बल्कि यह एक वैचारिक पद और एक विश्वास प्रणाली है. जो भी इस जिम्मेदारी को संभालता है, उसे यह याद रखना चाहिए कि वह भारत के एक नजरिये का प्रतिनिधित्व करेगा. उन्होंने सलाह दी कि आप ऐतिहासिक पद लेने जा रहे हैं. राहुल पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि वह इस चुनाव से दूर रहेंगे.
राहुल की टिप्पणी से इसकी संभावना बढ़ गयी है कि कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने पर गहलोत को सीएम पद छोड़ना पड़ सकता है. हालांकि, इसको लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि उनके हटने पर सचिन पायलट सीएम होंगे या फिर गहलोत की पसंद का कोई नेता इस जिम्मेदारी को संभालेगा. सूत्रों के मुताबिक, गहलोत सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर नहीं देखना चाहते हैं. वह कांग्रेस नेता सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाने की वकालत कर रहे हैं.
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22 साल बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का प्रमुख चुनाव के जरिये चुना जायेगा. 2000 में सोनिया गांधी और जितेंद्र प्रसाद के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें प्रसाद को करारी शिकस्त मिली थी. इससे पहले, 1997 में सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट के बीच अध्यक्ष पद को लेकर मुकाबला हुआ था, जिसमें केसरी जीते थे.
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी भी चुनाव लड़ने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. इस बीच, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने गहलोत का खुल कर समर्थन किया है. उन्होंने थरूर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि थरूर ने सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें पत्र लिख कर उनके (वल्लभ) जैसे कार्यकर्ताओं को कष्ट पहुंचाया है.