Congress President Election Result 2022: कांग्रेस को 24 साल बाद गैर-गांधी परिवार से कोई अध्यक्ष मिला है. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने प्रतिद्वंदी शशि थरूर को भारी मतों से हरा दिया है. इसी के साथ, चर्चा तेज हो गई है कि कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने बेशुमार चुनौतियां हैं, जिसका उन्हें सामना करना है. सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या खड़गे डूबती कांग्रेस को पार लगा पाएंगे.
मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार का विश्वस्त माना जाता है. खड़गे राजनीति में 50 साल से अधिक समय से सक्रिय है. लगातार 9 बार विधायक चुने गये खड़गे ने अपने सियासी सफर के दौरान कई उतार चढ़ाव का सामना किया है. वह गुलबर्ग से दो बार लोकसभा सदस्य रहे है. वहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में खड़गे को बीजेपी के नेता उमेश जाधव के हाथों गुलबर्ग में हार का सामना करना पड़ा था. खड़गे ने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है. जून, 2020 में खड़गे कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए.
मिजाज और स्वभाव से सौम्य मल्लिकार्जुन खड़गे कभी किसी बड़ी राजनीतिक विवाद में नहीं फंसे. राजनीति में आने से पहले वह वकालत के पेशे में थे. चुनाव से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा था कि अगर वह अध्यक्ष बनते हैं, तो उन्हें पार्टी के मामलों में गांधी परिवार की सलाह और सहयोग लेने में कोई झिझक नहीं होगी. क्योंकि, गांधी परिवार ने काफी संघर्ष किया है और पार्टी के विकास में उनका बड़ा योगदान है.
बताया जाता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसे वक्त पार्टी के अध्यक्ष चुने गए हैं, जब कांग्रेस को सही मायने में नई ताकत की जरूरत है. दरअसल, कांग्रेस पार्टी को देशभर में लगातार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में गांधी परिवार के विश्वस्त रहे मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने बेशुमार चुनौतियां है. हिमाचल प्रदेश और गुजरात के साथ ही अन्य कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है. इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव भी होना है. इन चुनावों में कांग्रेस के बेहतर परफॉरमेंस की चुनौती मल्लिकार्जुन के सामने है. मोदी सरकार के मुखर आलोचक खड़गे के कांग्रेस का नेतृत्व करने से कार्यकर्ताओं को बढ़ावा मिलने और राज्य में पार्टी नेतृत्व को एकजुट करने की उम्मीद है.
राजनीति के जानकारों की मानें तो अभी भी कांग्रेस पर पूरी तरह से गांधी परिवार का कंट्रोल है और बगैर उनके पार्टी में कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है. ऐसे समय में खड़गे के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह स्वतंत्र होकर पार्टी के लिए फैसला ले सकें. खड़गे के सामने दूसरी बड़ी चुनौती पार्टी में लगातार पड़ रही फूट को रोकना है. राजनीति के जानकार बताते है कि कांग्रेस तभी चुनाव जीत सकती है, जब वह जनता के बीच बेहतर पार्टी होने की छवि बनाने में कामयाब हो जाए. इसके लिए कांग्रेस को नए लोगों को पार्टी से जोड़ने की प्लानिंग पर काम करना होगा और इसे भी खड़गे के लिए एक चुनौती माना जा रहा है.