कृषि बिल को लेकर देश भर में कांग्रेस का प्रदर्शन, सरकार को घेरने की है तैयारी

नयी दिल्ली : कृषि संबंधित बिलों को लेकर जहां उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि जगहों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं आज से कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने कृषि बिल के विरोध में देशभर में प्रदर्शन शुरू कर दी है. कांग्रेस ने दो दिनों पहले ही चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने की बात कही थी. अब कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर सरकार को हैच टैग #DeshKiBaat के माध्यम से घेरने का काम शुरू कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2020 4:03 PM
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नयी दिल्ली : कृषि संबंधित बिलों को लेकर जहां उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि जगहों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं आज से कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने कृषि बिल के विरोध में देशभर में प्रदर्शन शुरू कर दी है. कांग्रेस ने दो दिनों पहले ही चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने की बात कही थी. अब कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर सरकार को हैच टैग #DeshKiBaat के माध्यम से घेरने का काम शुरू कर दिया है.

#DeshKiBaat के तहत पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, आज देश के खेत और खलिहान दोनों पर हमला बोला गया है. देश के खेत-मजदूर और किसान को गुलाम बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है. मोदी जी बताइए अगर मंडिया खत्म हो गई तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा कैसे? देगा कौन? कैसे लेगा किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य? क्या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया साढ़े 15 करोड़ किसानों के खेत में जाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर आयेगी.

सिलसिलेवार ट्वीट में सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. सुरजेवाला ने कहा, मोदी जी क्या आप जानते हैं कि मंडियों में आढ़ती, मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टर, भार तोलने वाला, फसल और जमीन की सफाई करने वाला, अनेको लाखों-करोड़ों लोग अपनी आजीविका पालते हैं. 2 फीसदी मार्केट फीस प्रांत मंडियों के अंदर लगाते हैं, जो FCI देती है किसान नहीं. ग्रामीण विकास फंड 2% से 3% लगता है, जिसकी कीमत भी FCI या प्राइवेट खरीददार देते हैं किसान नहीं. प्रांतों की आय छीन लोगे, तो प्रांत कहां जायेंगे?

इसी हैच टैग से कांग्रेस ने भी कई ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. ट्वीट में कहा गया, कृषि संबंधित बिल किसानों के साथ लूट को कानूनी रूप देने का काम कर रहे हैं. इन बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी का न होना सरकार की मंशा को उजागर कर रहा है. प्रधानमंत्री अपनी जिद से 62 करोड़ भारतीयों को प्रभावित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री देश के हर व्यक्ति के कृषि संबंधित बिलों के विरोध को दरकिनार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का फैसला देश को गुलामी की तरफ धकेल रहा है.

कृषि विधेयकों के विरोध में पंजाब में ‘रेल रोको’ प्रदर्शन शुरू, ट्रेन सेवाएं निलंबित

पंजाब में तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ बृहस्पतिवार से किसानों ने तीन दिवसीय ‘रेल रोको’ प्रदर्शन शुरू किया और इसी के मद्देनजर फिरोजपुर रेल संभाग ने विशेष ट्रेनों के परिचालन को रोक दिया. रेल अधिकारियों ने बताया कि 14 जोड़ी विशेष ट्रेनें 24 सितंबर से 26 सितंबर तक निलंबित रहेंगी. उन्होंने बताया कि यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे संपत्ति को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

कांग्रेस ने राष्ट्रपति से कृषि विधेयकों को वापस भेजने का किया आग्रह

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद कहा कि संसद में कृषि संबंधी विधेयकों को ‘असंवैधानिक’ तरीके से पारित किया गया है इसलिए राष्ट्रपति को इन विधेयकों को संतुति नहीं देकर इनको वापस भेजना चाहिए. उन्होंने यह दावा भी किया कि रविवार को राज्यसभा में हंगामे के लिए विपक्ष नहीं बल्कि सरकार जिम्मेदार है.

कांग्रेस का चरणबद्ध कार्यक्रम

दो दिन पहले ही एक बैठक के बाद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बताया था…

  • 21 सितंबर से अगले 72 घंटे तक कांग्रेस के नेता हर स्टेट हेडक्वार्टर में प्रेस वार्ता कर मोदी सरकार के ढोल की पोल खोलेंगे.

  • 28 सितंबर तक राज्य के राज्यपालों को कांग्रेस के प्रमुख नेता एक प्रोटेस्ट मार्च निकालकर ज्ञापन सौंपेंगे. यह मार्च महात्मा गांधी की प्रतिमा से शुरू होकर राजभवन पहुंचेगी और कृषि बिल को वापस लेने की मांग करेंगे.

  • 2 अक्टूबर तक सभी जिलों में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन करेंगे और काले कानून के खिलाफ स्थानीय पदाधिकारी को ज्ञापन देंगे.

  • 10 अक्टूबर को सभी राज्य में किसानों का बड़ा सम्मेलन बुलाया जायेगा. इसमें सरकार की दमनकारी नीति के बारे में गरीबों और किसानों को बताया जायेगा.

  • 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक कांग्रेस हर गांव जाकर किसान विरोधी इस काले कानून के खिलाफ 2 करोड़ दस्तखत एकत्र करेगी और 14 नवंबर को राष्ट्रपति को सौंपकर कानून को निरस्त करने की मांग करेगी.

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