Gujarat Election 2022: भाजपा के गढ़ गुजरात में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव करा लिये जाएंगे. प्रदेश में इस बार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि साल 2017 के चुनाव में भाजपा को टक्कर देने में कांग्रेस को जिस वरिष्ठ नेता का साथ मिला था वो अब इस दुनिया में नहीं हैं. जी हां…हम बात कर रहे हैं अहमद पटेल की. पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांटेदार मुकाबला देने के बाद भी कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं कर पायी थी.
इस बार के विधानसभा चुनाव में जहां अहमद पटेल नहीं नजर आएंगे. वहीं दिवंगत नेता की बेटी मुमताज पटेल सिद्दीकी कांग्रेस को कटघरे में खड़ी करतीं नजर आ रहीं हैं. पिछले दिनों उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कार्यकर्ताओं की सुनने वाला कोई नहीं है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस मुमताज पटेल ने एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पिता अहमद पटेल की मौत के बाद मैडमजी यानी सोनिया गांधी ने कुछ कांग्रेसी नेताओं से हमारी मदद करने को कहा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मुझे पता चला है कि बहुत से लोग कांग्रेस का दामन छोड़कर जा रहे हैं. मुमताज ने कहा कि कांग्रेस छोड़ रहे कार्यकर्ताओं ने अपने गॉडफादर (अहमद पटेल) को खो दिया है. कई नेता हैं लेकिन कार्यकर्ताओं को नहीं पता कि किससे संपर्क करने की जरूरत है.
गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस संबंध में जब मुमताज से गुजरात में कांग्रेस की स्थिति के बारे में जब सवाल किया गया तो उन्होंने 2024 के लोकसभा का जिक्र छेड़ दिया. दिवंगत नेता अहमद पटेल की बेटी ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस का इतिहास हमेशा ‘एपी से पहले (अहमद पटेल)’ और ‘एपी के बाद’ लिखा जाएगा…यह वही थे जो लोगों को जोड़ने में विश्वास रखते थे. यदि किसी ने कहा कि वह पार्टी छोड़ना चाहता है, तो वह उन्हें पार्टी से जाने नहीं देते थे. ऐसे लोगों को मनाने में अहमद पटेल को महारत हासिल थी. उनके विपक्षी नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध थे, जो उन पर विश्वास करते थे और उन्हें सम्मान की दृष्टी से देखते थे.
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यदि आपको याद हो तो साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहले की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया था जिससे पार्टी को बल मिला था. गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 77 जबकि भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा को 99 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि बाद के वर्षों में कांग्रेस के कई विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था.