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भाजपा के राजीव गांधी फाउंडेशन पर उटाए गए सवाल पर कांग्रेस ने पलटवार कर दिया ये जवाब

भाजपा द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन की फंडिंग पर सवाल उठाए जाने के बाद कांग्रेस ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष में चीनी कंपनियां दान दे रही हैं

भाजपा द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन की फंडिंग पर सवाल उठाए जाने के बाद कांग्रेस ने पलटवार करते हुए रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम-केयर्स) में चीनी कंपनियां दान दे रही हैं और पूछा कि जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण गतिरोध चल रहा है तो इस रकम को स्वीकार क्यों किया जा रहा है.

इन आरोपों पर सरकार की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बीते छह साल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ “18 मुलाकातों” पर भी सवाल उठाए और पूछा कि उन्होंने चीन को अब तक “हमलावर” क्यों नहीं कहा. सिंघवी का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान यह कहने के कुछ घंटों के बाद आया कि लद्दाख में उसकी जमीन पर बुरी नजर रखने वालों को भारत ने उचित जवाब दिया है.

सिंघवी ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह कहें कि चीन हमलावर है. ” सिंघवी ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सबसे ज्यादा चिंताजनक और सतर्क करने वाला तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी कंपनियों से अपने (व्यक्तिगत नजर आने वाले) पीएम केयर्स कोष में दान की रकम प्राप्त की. ” उन्होंने कहा, “भारत के प्रधानमंत्री चीनी कंपनियों से विवादास्पद और अपारदर्शी तरीके से सैकड़ों करोड़ रूपये का दान स्वीकार कर अपनी स्थिति से समझौता करेंगे तो वह चीनी आक्रामकता के खिलाफ देश की रक्षा कैसे करेंगे?

प्रधानमंत्री मोदी को जवाब देने की जरूरत है. ” पीएम केयर्स फंड कोविड-19 महामारी के कारण आने वाली किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के उद्देश्य से इस साल मार्च में बनाया गया था. तब से ही कुछ विपक्षी दलों की यह मांग रही है कि इस फंड में आने वाले दान को सार्वजनिक किया जाए.

सिंघवी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के 2007 से ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) से संबंध रहे हैं और राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और अमित शाह जैसे उसके अध्यक्षों का चीन के साथ अधिकतम संपर्क रहा है. उन्होंने दावा किया, “भारत के इतिहास में ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं है जिसके अध्यक्षों का बीते 13 वर्षों में चीन के साथ इतना संपर्क रहा है. ”

उन्होंने कहा कि जनवरी 2007 और अक्टूबर 2008 में सिंह की सीपीसी से बात हुई, जनवरी 2011 में गडकरी पांच दिन के आधिकारिक दौरे पर चीन गए और शाह ने 2014 की शुरुआत में पार्टी विधायकों के एक प्रतिनिधिममंडल को चीन भेजा. सिंघवी ने कहा कि इस सरकार के लिए लगता है राष्ट्रीय सुरक्षा महत्वपूर्ण नहीं है.

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा “इस सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं ‘मैं, मेरा, मेरे लिए’ और राजीव गांधी फाउंडेशन. ” सिंघवी ने प्रधानमंत्री पर देश को “गुमराह” करने का आरोप लगाया और साथ ही कहा कि उन्होंने यह दावा कर चीन के “भयावह एजेंडे” को अमल में लाने का काम किया कि चीन ने कभी किसी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की और न ही उसके कब्जे में कोई भारतीय इलाका है.कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय से कथित चीनी दान पर जवाब मांगा. उन्होंने पूछा, “डेपसांग (2013), चुमार (2014) और डोकलाम (2017) में चीनी घुसपैठ के बाद पीएम केयर्स कोष की स्थापना की गई. प्रधानमंत्री ने चीनी स्वामित्व वाली रकम क्यों स्वीकार की, उनमें से एक के चीनी सेना पीएलए के साथ काफी गहरे संबंध हैं. ” उन्होंने कहा, “वर्ष 2005 में भारत-चीन के रिश्ते अच्छे थे और उन्हें और सुधारने के प्रयास किए गए.

अगर 2005 में मिला कोई चंदा गलत है तो 2013-2017 के बाद इसे स्वीकार करना कितना ज्यादा गलत है।” उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने लद्दाख में मार्च-अप्रैल 2020 में घुसपैठ शुरू की और पूछा, “क्या चीनी मंसूबों को समझने के लिये बड़ी बुद्धिमानी की जरूरत है. ” चिदंबरम ने कहा , “चीन ने झूला कूटनीति और चीनी रुपयों के जरिये भारत को शालीनता से शांत कराया। क्या यह मोदी सरकार की बड़ी विफलता नहीं थी?” सिंघवी ने मांग की कि मोदी को बताना चाहिए चीन ने भारतीय क्षेत्र में कितनी घुसपैठ की और हमारी कितनी चौकियों और जमीन पर उसने कब्जा जमाया.

सिंघवी ने कहा, “प्रधानमंत्री को कहना चाहिए कि हम समझौता नहीं करने जा रहे और हम चीन को वापस खदेड़ेंगे. ” उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा करेंगे तो विपक्ष समेत पूरा देश उनके पीछे खड़ा रहेगा. लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने रेडियो पर ‘मन की बात’ में कहा कि भारत के वीर सपूतों ने दिखा दिया कि वे कभी भी मां भारती के गौरव को आंच नहीं आने देंगे.

उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है. भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है।” कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 33 मिनट की ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया। “प्रधानमंत्री चीन से इतना डरते क्यों है?” उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “डरिये मत, मज़बूती दिखाइये, चीन से आंख में आंख डाल कर बात कीजिये, हमारी सरज़मीं से चीनी क़ब्ज़ा हटाइये, यही सच्ची देशभक्ति है. ”

कांग्रेस चीनी घुसपैठ और लद्दाख में सीमा पर गतिरोध को लेकर प्रधानमंत्री पर देश को “गुमराह” करने का आरोप लगा रही है. पार्टी ने विशेषज्ञों को उद्धृत करते हुए दावा किया कि चीन ने भारतीय चौकियों और जमीन पर कब्जा जमा लिया है. दूसरी तरफ भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उसके राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से धन लिया. फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पीएम केयर्स कोष का जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि खबरों के मुताबिक 20 मई तक इस कोष में 9,678 करोड़ रुपये आए थे। उन्होंने हालांकि इस बारे में और विवरण नहीं दिया। सिंघवी ने कहा, “चौंकाने वाली बात यह है कि चीनी सेनाओं के हमारे क्षेत्र का अतिक्रमण करने के बावजूद प्रधानमंत्री को इस कोष में चीनी कंपनियों से धन प्राप्त हुआ…

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