नई दिल्ली : नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर संसद में चर्चा कराने को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि नेहरू जी चाहते, तो इस मांग पर वाजपेयी जी को चीन का एजेंट कह सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने की बजाय उनकी मांग को स्वीकार किया.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आगे कहा कि उस समय अभिषेक सिंघवी के पिता उस समय एक स्वतंत्र सांसद थे. उन्होंने नेहरू जी और अटल जी को सलाह दी थी कि यह विशेष सत्र गुप्त होना चाहिए और मीडिया में इसकी सूचना नहीं दी जानी चाहिए. उनकी इस सलाह से नेहरू जी सहमत नहीं थे. उन्होंने कहा कि यह एक राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और लोगों को इसके बारे में जानने का अधिकार है और संसद इसके बारे में क्या सोचती थी. खेड़ा ने कहा कि उस बहस में कुल 165 सांसदों ने हिस्सा लिया था.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि किसी भी आवाज को दबाना हमारा सिद्धांत नहीं था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतिहास के उस पन्ने से सीख लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वे गुजरात के स्कूलों में मंदारिन को अनिवार्य करना चाहते थे. चीन के साथ आपका क्या संबंध है? चीनी कंपनी को धोलेरा में ठेका क्यों मिला? क्या दबाव है?
उन्होंने कहा कि कुछ चीनी कंपनियां ऐसी हैं, जिनका इस्तेमाल भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान किया था. एक और कंपनी है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोप और अमेरिका ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है, लेकिन मोदी सरकार ने उसे जम्मू-कश्मीर में स्मार्ट मीटर का ठेका दे दिया. तो आप एक चीनी कंपनी को पैसा और डेटा दोनों देते हैं?
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर अपना कुछ भी बोलते नहीं हैं और जब वह करते हैं, तो वे चीन को क्लीन चिट देते हैं. भारत आज तक क्लीन चिट के लिए पीड़ित है, जो उन्होंने 20 जून, 2020 को दी थी. चीन अब समझ गया है कि भारतीय पीएम क्या करते हैं. वे अपनी छवि से ऊपर किसी चीज को नहीं मानते, यहां तक कि भारत की सुरक्षा को भी नहीं.