कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबी क्यों हो रहे साइडलाइन, देखें- उन सभी का नाम जो बिछड़े बारी बारी
Rahul gandhi, Rajasthan political crisis, sachin pilot: राजस्थान के सियासी भूचाल में कांग्रेस में बगावत की वही पुरानी स्क्रिप्ट बार-बार दोहराई जा रही है. राहुल गांधी के करीबी नेता पार्टी से किनारा करते जा रहे हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. फिर एक के बाद एक राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया. कांग्रेस के युवा तुर्क माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद सचिन पायलट भी इसी कड़ी का अगला नाम है.
Rahul gandhi, Rajasthan political crisis राजस्थान के सियासी भूचाल में कांग्रेस में बगावत की वही पुरानी स्क्रिप्ट बार-बार दोहराई जा रही है. राहुल गांधी के करीबी नेता पार्टी से किनारा करते जा रहे हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. फिर एक के बाद एक राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया. कांग्रेस के युवा तुर्क माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद सचिन पायलट भी इसी कड़ी का अगला नाम है.
पायलट को मंगलवार को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. अब तय है कि पार्टी से भी बार होने की खबर जल्द ही आएगी. राहुल ने चुन चुन कर युवा नेताओं को कांग्रेस में शामिल किया, उन्हें युवा प्रभारी और अध्यक्ष बनाया लेकिन पुराने नेताओं के आगे उनकी नहीं चल सकी और अंततः पार्टी से युवा नेताओं ने इस्तीफे दे दिए.
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस में इस तरह से युवा नेता पार्टी छोड़ रहे हैं या फिर उन्हें दरकिनार किया जा रहा है. कांग्रेस में ऐसे कई उदाहरण सामने आ चुके हैं जहां युवा की बजाय पुराने और अनुभवी नेताओं को तरजीह दी गयी. आइए आज बताते हैं कि कि कौन-कौन से युवा नेता ऐसे रहे जिनकी अनदेखी की गई और जिन्होंने फिर अपना रास्ता अलग चुन लिया.
पिछले दिनों पर नजर डाले तो ज्योतिरादित्य सिंधिया से राहुल के रिश्ते पार्टी के बाहर के थे लेकिन पार्टी के अंदर की वजह से दोनों का साथ छुटा. सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे दो कद्दावर नेताओं के कारण पार्टी छोड़कर चले गए . सिंधिया कांग्रेस से बाहर निकले तो मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकर तक गिर गई. ऐसा ही कुछ हरियाणा में हुआ जब राहुल गांधी ने अशोक तंवर को अध्यक्ष बनाया. लेकिन हुड्डा और उनके परिवार ने अशोक तंवर को स्वीकार नहीं किया. वो लगातार नजरअंदाज होते रहे, लिहाजा तंवर भी पार्टी से अलग हो गए.
बिहार और झारखंड में भी
पूर्व आईपीएस डॉ अजोय कुमार को झारखंड अध्यक्ष बनाया गया लेकिन यहां भी सीनियर और जूनियर में उलझ कर कांग्रेस छोड़ गए. वो 2019 में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. बिहार में अशोक कुमार चौधरी का भी यही हाल रहा. कभी बिहार में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे चौधरी आज नीतीश सरकार में मंत्री हैं.
उधर, पूर्वोत्तर में पीडी वर्मन ने कांग्रेस कार्यसमिति में कुछ ऐसा कह दिया जो वरिष्ठों अच्छा नहीं लगा और एक हफ्ते में छुट्टी हो गई. गुजरात में भी अल्पेश ठाकोर राहुल गांधी की वजह से पार्टी में आए लेकिन फिर चले गए. सिर्फ इतना ही नहीं, पार्टी में राहुल को खुलकर नेता कहने वाले संजय निरूपम, मिलिंद देवड़ा और पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू भी कांग्रेस पार्टी में अपना वजूद तलाश रहे हैं. कांग्रेस में होने के बाद भी ये एक तरह से साइडलाइन ही हैं.
Posted By: Utpal kant