Congress on Manipur Violence: कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा भड़कने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सत्ता के लोभ की राजनीति को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पूर्वोत्तर के इस प्रदेश में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने पर ध्यान देना चाहिए. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मणिपुर के लोगों से शांति और संयम बरतने की अपील भी की. खरगे ने ट्वीट किया- मणिपुर जल रहा है, बीजेपी ने समुदायों के बीच दरार पैदा की और इस खूबसूरत राज्य की शांति को भंग कर दिया है. खरगे ने आरोप लगाया कि- बीजेपी की नफरत और विभाजन की राजनीति तथा सत्ता का लोभ इस समस्या के लिए जिम्मेदार है. केवल यहीं नहीं कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि- हम सभी पक्षों के लोगों से संयम बरतने और शांति को एक मौका देने की अपील करते हैं.
Manipur is burning. BJP has created fissures among communities and destroyed the peace of a beautiful state.
BJP's politics of hate, division and its greed for power is responsible for this mess.
We appeal to people from all sides to exercise restraint and give peace a chance.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 4, 2023
मामले पर बात करते हुए राहुल गांधी ने एक ट्वीट भी जारी किया इसमें उन्होंने कहा कि- मणिपुर में तेजी से बिगड़ती कानून की व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हूं. प्रधानमंत्री को वहां शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. मैं मणिपुर के लोगों से भी शांति का आग्रह करता हूं. उल्लेखनीय है कि आदिवासी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा को लेकर मणिपुर के आठ जिलों में कल यानी यहां कर्फ्यू लगा दिया गया था और पूरे पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं. मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) की श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा आहूत आदिवासी एकता मार्च में हिंसा भड़क गई थी.
Deeply concerned about Manipur’s rapidly deteriorating law and order situation.
The Prime Minister must focus on restoring peace and normalcy. I urge the people of Manipur to stay calm.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 4, 2023
मणिपुर में परसो यानी मंगलवार को चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा बुलाए गए आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान हिंसा भड़क गई. अन्य समुदायों के अनुसार, मैतेई के पक्ष में यह कदम है. जिनकी आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और इसकी वजह से उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से वंचित कर देगा. रैली के दौरान झड़पों की सूचना मिली जिसमें हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया.
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे और जैसे ही हिंसा भड़की, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर पांच दिवसीय, स्टेटवाइड प्रतिबंध लगा दिया. बता दें हालात पर काबू पाने के लिए भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को बचाने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया था. सामने आयी जानकारी के मुताबिक अब तक वहां से 7,500 से अधिक नागरिकों को निकाला जा चुका है. (भाषा इनपुट के साथ)