Congress: मौजूदा केंद्र सरकार में कई घोटाले सामने आए है और इस सरकार ने कई यू-टर्न लिए है. देश में नकारात्मकता का माहौल और इस बीच सरकार के गुणगान करने वाले दावा कर रहे हैं कि वर्ष 2021-24 के दौरान 8 करोड़ लोगों को रोजगार दिया गया है. सरकार की ओर से यह दावा आरबीआई केएलईएमएस के डेटा के आधार पर किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी तथ्यों के आधार पर दावे को खारिज कर चुकी है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार की ओर सितंबर 2017 से मार्च 2024 के बीच कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के डेटाबेस में शामिल होने वाले 6.2 करोड़ नये लोगों को भी रोजगार के साथ जोड़ा जा रहा है. दोनों डेटा अपर्याप्त हैं और सरकार रोजगार के मोर्चे पर अपनी बेहतर छवि दिखाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि 8 करोड़ नौकरियों के अवसर पैदा होने के अपने दावे को सही ठहराने के लिए सरकार रोजगार की गुणवत्ता और परिस्थितियों पर ध्यान दिए बिना अपने तरीके से परिभाषा को गढ़ रही है. रोजगार वृद्धि के दावे में महिलाओं द्वारा बिना किसी तरह के वेतन के किए जाने वाले घरेलू काम को भी रोजगार के तौर पर दर्ज किया गया है. जबकि घरेलू काम रोजगार की श्रेणी में नहीं आता है.
मौजूदा समय में देश में सबसे अधिक है बेरोजगारी दर
करोड़ नयी नौकरियों वाली हेडलाइन की आड़ में नौकरियों की गुणवत्ता पर चर्चा नहीं हो रही है. खराब आर्थिक माहौल के बीच, श्रम बाजार में नियमित वेतन वाले, औपचारिक रोजगार की हिस्सेदारी में कमी आयी है. लोग कम उत्पादकता वाली अनौपचारिक और कृषि क्षेत्र से जुड़े काम से जुड़ रहे हैं. सरकार आंकड़ों की कितनी भी बाजीगरी कर ले लेकिन सच्चाई यह है कि भारत की बेरोजगारी दर मौजूदा समय में 45 साल में में सबसे अधिक है, ग्रेजुएट युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 42 फीसदी है. यह संकट सरकार का पैदा किया हुआ है. नोटबंदी, जल्दबाजी में लागू किए गए जीएसटी, बिना तैयारी के लगाए गए कोविड-19 लॉकडाउन और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार सृजन करने वाले छोटे एवं लघु उद्योग की कमर टूट गयी. सरकार तथ्यों को कितना भी तोड़ मरोड़ कर पेश करे लेकिन बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वर्ष 2014-24 के दौरान नौकरियों को खत्म करने वाला जॉबलैस ग्रोथ हुआ है.