नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने वाले संविधान के 103वें संशोधन की वैधता को बरकरार रखने का स्वागत किया है. लेकिन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मामले में उसने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार की पीठ थपथपाई है. कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि यह आरक्षण मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा आरंभ की गई प्रक्रिया का परिणाम है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के फैसले का स्वागत किया, जिसने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम की वैधता को 3:2 के बहुमत से बरकरार रखा है. संविधान का 103वां संशोधन अधिनियम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि फैसले का महत्व इस तथ्य में निहित है कि आरक्षण के आधार के रूप में आर्थिक पिछड़ापन अब एक संवैधानिक सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाएगा.
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि यह आरक्षण मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा आरंभ की गई प्रक्रिया का परिणाम है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ताजा जाति जनगणना पर उसका क्या रुख है. सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. रमेश ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के संदर्भ में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह संवैधानिक संशोधन 2005-06 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा सिन्हा आयोग का गठन करके शुरू की गई प्रक्रिया का परिणाम है. इस आयोग ने जुलाई, 2010 में अपनी रिपोर्ट दी थी. इसके बाद व्यापक रूप से चर्चा की गई और 2014 तक विधेयक तैयार कर लिया गया. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार को विधेयक को कानून की शक्ल देने में पांच साल का समय लगा.
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जयराम रमेश ने कहा कि इसका उल्लेख करना भी जरूरी है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना को 2012 तक पूरा कर लिया गया था तथा उस वक्त मैं ग्रामीण विकास मंत्री था. मोदी सरकार को स्पष्ट करना होगा कि ताजी जाति जनगणना को लेकर उसका क्या रुख है. कांग्रेस इसका समर्थन करती है और इसकी मांग भी करती है. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के फैसले में आर्थिक मानदंडों के आधार पर सार्वजनिक रोजगार, निजी रोजगार और शिक्षा संस्थानों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को बरकरार रखा है, जो इस देश में बहुत लंबे समय से बहस का मुद्दा रहा है.