प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी की वजह से भारत और मालदीव के बीच तनाव व्याप्त है. इस बीच एक पूर्व भारतीय राजनयिक ने मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है. हिंद महासागर द्वीप में एक इस्लामी रूढ़िवादी गुट के सत्ता में आने की वजह से ऐसा हो रहा है.
पूर्व भारतीय राजनयिक ज्ञानेश्वर मनोहर मुले ने कहा कि मालदीव में लोकतंत्र है जो अपेक्षाकृत युवा है. यह किशोरावस्था में है. उन्होंने कहा कि इस स्थिति की वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की वास्तविकताओं की समझ में कमी नजर आ रही है. यही कारण है कि वर्तमान संकट का जन्म हुआ.
मालदीव में रूढ़िवादी तत्वों को सभी सहायता प्रदान कर रहा है चीन
पूर्व भारतीय राजनयिक ज्ञानेश्वर मनोहर मुले ने कहा कि जब भी इस तरह के घटनाक्रम होते हैं, तो इसमें कुछ लोगों की गलत मंशा छिपी होती है. ऐसे लोग द्वीप की आबादी के दिमाग को गलत दिशा में सोचने पर मजबूर कर देते हैं. चीन ने ऐसा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चीन मालदीव में रूढ़िवादी तत्वों को सभी सहायता प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि मालदीव में वर्तमान शासन विकास समर्थक है लेकिन बहुत रूढ़िवादी भी हैं.
राष्ट्रपति मुइज्जू की दूसरी यात्रा चीन की
ज्ञानेश्वर मनोहर मुले ने कहा कि मालदीव की नीतियों में इस्लामी झुकाव नजर आ रहा है. यही कारण है कि राष्ट्रपति मुइज्जू की पहली यात्रा तुर्की की थी और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी दूसरी यात्रा चीन की रही. यह इस बात का संकेत है कि नया शासन क्या पसंद करता है. मुले ने बताया कि राष्ट्रपति मुइज्जू मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति, अब्दुल्ला यामीन की राह पर चल रहे हैं जिनकी सोच भारत विरोधी और कट्टरपंथी थी.
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चीन ने क्या कहा
इधर, भारत के साथ राजनयिक विवाद के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपनी पहली चीन यात्रा पूरी की और बीजिंग ने कहा कि वह मालदीव के आंतरिक मामलों में ‘बाहरी हस्तक्षेप का दृढ़ता से विरोध करता है’ और द्वीपीय राष्ट्र की संप्रभुता और स्वतंत्रता को कायम करने में उसका समर्थन करता है.
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