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जगन्नाथ मंदिर की धनराशि यस बैंक में जमा करने के पीछे साजिश, भाजपा ने लगाया आरोप

ओडिशा भाजपा ने श्री जगन्नाथ मंदिर के 545 करोड़ रुपये की राशि नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक में जमा करने के पीछे साजिश होने का सोमवार को आरोप लगाया और इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय से कराने की मांग की.

भुवनेश्वर : ओडिशा भाजपा ने श्री जगन्नाथ मंदिर के 545 करोड़ रुपये की राशि नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक में जमा करने के पीछे साजिश होने का सोमवार को आरोप लगाया और इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय से कराने की मांग की. भाजपा के वरिष्ठ नेता बिजय महापात्र ने निजी बैंक में धन जमा करने के पीछे जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के कुछ सदस्यों और दो सरकारी अधिकारियों के शामिल होने का भी दावा किया. हालांकि राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने आरोपों को खारिज किया और कहा कि भाजपा लोगों को गुमराह कर रही है.

ओडिशा सरकार ने श्रद्धालुओं के हित में धन जारी करने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की रविवार को मांग की थी. महापात्र ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हालांकि 2015 में महालेखाकार ने एक रिपोर्ट में जगन्नाथ मंदिर की धनराशि में घोर अनियमितताओं का संकेत दिया था लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी.” उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय वित्तमंत्री को पत्र लिखने के बजाय राज्य सरकार को प्रवर्तन निदेशालय से सम्पर्क करना चाहिए. मामले की ईडी जांच से साजिश का खुलासा होगा.” भाजपा प्रदेश महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदन ने मंदिर की धनराशि को अनिश्चितता में धकेलने के लिए रविवार को राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया था

बीजद के प्रवक्ता सुभाष सिंह ने आरोपों पर कहा, ‘‘भाजपा नेता इस मामले पर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं. भगवान जगन्नाथ मंदिर से संबंधित मुद्दों का राजनीतिकरण करना महापात्र की पुरानी आदत है.” उन्होंने कहा, ‘‘जब केंद्रीय वित्तमंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक कह रहे हैं कि जमाकर्ताओं का पैसा यस बैंक में सुरक्षित है तो प्रदेश भाजपा नेता लोगों को गुमराह क्यों कर रहे हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि यदि महापात्र और हरिचंदन के बयान सही हैं तो केंद्रीय बैंक और वित्तमंत्री का आश्वासन असत्य है. सिंह ने कहा, ‘‘भाजपा नेताओं को पता लगाने दीजिये कि कौन झूठ बोल रहा है.” इससे पहले कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बयान की मांग की थी. पटनायक अभी तक इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोले हैं. भाषा अमित धीरज

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