नई दिल्ली : दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल का राज चलेगा या जनता द्वारा निवार्चित केजरीवाल सरकार का? राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं पर नियंत्रण विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट 27 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय करेगा. दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, जिसकी सुनवाई पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ को करनी है. इस संविधान पीठ की अगुवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं. बुधवार को पांच जजों वाली संविधान पीठ ने कहा कि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण विवाद मामले पर सुनवाई करने वाली बेंच का नाम हरित पीठ होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस सुनवाई में कागजों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. यह पूरी तरह से पेपरलेस होगी.
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण मामले की सुनवाई के लिए जिस संविधान पीठ का गठन किया है, उसकी अगुवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं. इसके अलावा, इस पीठ में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा को भी शामिल किया गया है. बुधवार को संविधान पीठ ने कहा कि अनुमान है कि वह केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी तथा कार्यकारी शक्तियों के दायरे से जुड़े मामले पर सुनवाई अक्टूबर मध्य से शुरू कर देगी.
संविधान पीठ ने यह बात तब कही, जब अधिवक्ताओं ने कहा कि सीजेआई यूयू ललित की अगुवाई में एक संविधान पीठ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को दाखिले तथा नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता के संबंध में दाखिल याचिकाओं पर 13 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी. पीठ को यह भी सूचित किया गया कि दिल्ली-केंद्र विवाद मामले की पैरवी करने वाले कई वरिष्ठ अधिवक्ता ईडब्ल्यूएस मामले में भी जिरह करेंगे और इसलिए उन्हें सहूलियत मिलनी चाहिए. इस पर पीठ ने कहा कि वह मामले को 27 सितंबर को सूचीबद्ध करेगी और ईडब्ल्यूएस मामले की सुनवाई के चरण को देखते हुए निर्देश देंगे कि इस पर आगे की कार्यवाही कैसे की जाए.
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसमें कागज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और उन्होंने रजिस्ट्री को सभी संबंधित सामग्री (जिसमें किताब, केस लॉ और लिखित अभ्यावेदन शामिल हैं) को स्कैन करने के निर्देश दिए. बता दें कि 22 अगस्त को शीर्ष अदालत ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र तथा दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित कानूनी मुद्दों पर सुनवाई करने के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया है.