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Consumer Complaint: खाद्य पदार्थों में मिलावट की बिहार से 12 तथा झारखंड से मात्र दो शिकायतें

पिछले दो वर्षों में उपभोक्ता आयोग में खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी के अंतर्गत देश भर से कुल दर्ज उपभोक्ता शिकायतों की संख्या 533 है. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से 116 तो बिहार से 16, पश्चिम बंगाल से 12 तथा झारखंड से दो शिकायतें दर्ज करायी गयी है.

Consumer Complaint:खाद्य पदार्थों में मिलावट की खबरें हमेशा सुनी जाती रही है. पर्व त्योहार के दिनों में तो मिलावटी चीजों की भरमार हो जाती है.मिलावट के कारण बच्चों के बीमार होने या अस्पताल तक पहुंचने की बात भी सामने आती है. सरकार की ओर से खाद्य पदार्थों में किसी प्रकार की मिलावट पर दंड का प्रावधान है. लेकिन ऐसा देखा जाता है कि मिलावट पकड़े जाने के बाद भी लोग मिलावट की रोकथाम के लिए बने प्राधिकरण से शिकायत करने से कतराते हैं.

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दो वर्षों के दौरान उपभोक्ता आयोग में खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी के अंतर्गत दर्ज उपभोक्ता शिकायतों पर नजर डालें, तो देश भर से कुल दर्ज शिकायतों की संख्या 533 है. उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से 112, आंध्र प्रदेश से 17, असम  3, बिहार 16, चंडीगढ़ 4, छत्तीसगढ़ 10, दिल्ली 28, गुजरात 16, हरियाणा 57, हिमाचल प्रदेश 5, जम्मू और कश्मीर 1, झारखंड 2, कर्नाटक 6, केरल 51, मध्य प्रदेश 8, महाराष्ट्र 7, ओडिशा 15, पुडुचेरी 9, पंजाब 12, राजस्थान 88, तमिलनाडु 30, तेलंगाना 20, उत्तराखंड 4 और पश्चिम बंगाल से 12 शिकायतें आयोग को मिली है. 

घटिया खाद्य पदार्थ बेचने पर दंड का प्रावधान

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का मुख्य उद्देश्य खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करना तथा लोगों के लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करना है. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में घटिया खाद्य, गलत ब्रांड वाले खाद्य और असुरक्षित खाद्य पदार्थों के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं. गौरतलब है कि एफएसएसएआई अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और राज्य/संघ शासित प्रदेशों के माध्यम से दूध, दूध उत्पादों और शिशु आहार सहित खाद्य उत्पादों की नियमित निगरानी, निरीक्षण और रेंडम विधि से नमूने एकत्र करता है.

ऐसे मामलों में जहां खाद्य नमूने सही नहीं पाए जाते हैं उन पर कार्रवाई की जाती है.शिकायत दर्ज कराने में किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार दोषी खाद्य व्यवसाय संचालकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा, दूरदराज के क्षेत्रों में भी बुनियादी परीक्षण सुविधाएं बढ़ाने के लिए, एफएसएसएआई ने फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स (एफएसडब्ल्यू) नामक मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की सुविधाएं प्रदान की हैं.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत मिलावटी या नकली सामान जैसे किसी भी उत्पाद को बेचने, भंडारण करने, वितरित करने या आयात करने के लिए दंड का प्रावधान है. इसमें उपभोक्ता को होने वाले नुकसान की सीमा के आधार पर कारावास या जुर्माना भी शामिल है. उपभोक्ताओं के हित में उन प्रावधानों काे शामिल किया है, जिससे मिलावट करने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित हो सके. उपभोक्ता द्वारा पांच लाख रुपये तक की भुगतान के मामलों में शिकायत दर्ज किये जाने पर कोई शुल्क नहीं देना होता है.

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