Consumer Rights: मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की रिपेयरिंग एक बड़ी समस्या है. जल्द ही आम लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिलने वाला है. इसके लिए सरकार रिपेयर इंडेक्स तैयार कर रही है. बुधवार को केंद्र सरकार ने उपभोक्ता मामले के विभाग के अतिरिक्त सचिव भरत खेड़ा की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है. यह समिति रिपेयर इंडेक्स का एक फ्रेमवर्क तैयार करेगी ताकि उपभोक्ता को रिपेयर करने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. उपभोक्ता मामलों के विभाग का मकसद उपभोक्ताओं को अपने उत्पाद को लेकर रिपेयर संबंधी जानकारी मुहैया कराना है और टेक इंडस्ट्री में सतत विकास को बढ़ावा देना है.
उपभोक्ता अधिकार और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए राइट टू रिपेयर इन द मोबाइल एंड इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर पर एक राष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन पिछले महीने किया गया था. इस वर्कशॉप में इस क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों की रिपेयर इंडेक्स को लेकर राय ली गयी थी. सरकार का मानना है कि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग तेजी से बढ़ रही है और यह कम समय में खराब हो जाती है. रिपेयर इंडेक्स की रिपोर्ट समिति को 15 नवंबर तक सौंपनी है.
क्या होगा फायदा
रिपेयर इंडेक्स के तैयार होने से ई-कचरे की समस्या का समाधान होगा और निर्माताओं को अधिक आसानी से मरम्मत योग्य उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा. रिपेयर इंडेक्स उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा ताकि वे किसी उत्पाद खरीदने से पहले उचित फैसला ले सके. उपभोक्ताओं को यह पता चल जाएगा कि खराब होने पर ठीक करने के लिए उपकरण उपलब्ध होंगे या नहीं.
रिपेयर इंडेक्स में रिपेयर संबंधी व्यापक जानकारी हासिल होगा. साथ ही ठीक होने के लिए पार्ट्स की उपलब्धता कितनी आसान तरीके से होगी. यह भी तय किया जाएगा कि उपभोक्ता को पार्टस की डिलीवरी तय समय में हो सके. इससे रिपेयर की कीमत भी तय होगी. गौरतलब है कि सरकार ने पहले ही एक राइट टू रिपेयर पोर्टल शुरू कर चुकी है. भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पादक देश है. रिपेयर इंडेक्स तैयार होने से इस कचरे में कमी आने की संभावना है.
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