Contempt Of Court case: माफी नहीं मांगेंगे प्रशांत भूषण, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नयी दिल्ली : वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant bhushan) के खिलाफ अदालत की अवमानना मामले (Contempt Of Court case) में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अदालत ने कहा कि इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे. हालांकि अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और भूषण के वकील राजीव धवन ने अदालत से उन्हें माफी दिये जाने की बात कही. इसपर न्यायालय ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेश के जरिए ही अपनी बात रख सकती है. अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2020 4:02 PM
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नयी दिल्ली : वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant bhushan) के खिलाफ अदालत की अवमानना मामले (Contempt Of Court case) में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अदालत ने कहा कि इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे. हालांकि अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और भूषण के वकील राजीव धवन ने अदालत से उन्हें माफी दिये जाने की बात कही. इसपर न्यायालय ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेश के जरिए ही अपनी बात रख सकती है. अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अवमानना के दोषी अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर खेद नहीं जताने के अपने रुख पर “फिर से विचार” करने के लिए मंगलवार को 30 मिनट का समय दिया. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जब भूषण के ‘अवहेलना’ वाले बयान पर उनके विचार पूछे जाने पर शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें (भूषण को) सभी बयान वापस लेने चाहिए और खेद प्रकट करना चाहिए.’

न्यायालय ने कहा कि प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे. अदालत ने अटॉर्नी जनरल की उस मांग के बाद यह टिप्पणी की जब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अदालत को भूषण को चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए. प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ किये गये उनके दो ट्वीट पर शीर्ष अदालत में माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्होंने जो कहा वह उनका वास्तविक विश्वास है, जिसपर वह कायम हैं. पीठ ने पूछा, ‘भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय चरमरा गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है.’

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पीठ ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेशों के जरिए बोलती है और अपने हलफनामे में भी, भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अदालत को उन्हें चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए. पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि जब भूषण को लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें इसे न दोहराने की सलाह देने का क्या मतलब है.

इसने कहा, ‘एक व्यक्ति को गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे.’ पीठ भूषण के विचार दोबारा जानने के लिए फिर से बैठेगी. शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को, भूषण को माफी मांगने से इनकार करने के उनके ‘अपमानजनक बयान’ पर फिर से विचार करने और न्यायपालिका के खिलाफ उनके अवामाननाकारी ट्वीट के लिए ‘बिना शर्त माफी मांगने’ के लिए 24 अगस्त का समय दिया था तथा उनकी इस दलील को अस्वीकार कर दिया था कि सजा की अवधि अन्य पीठ द्वारा तय की जाए.

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

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