क्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने से धूमिल होगी प्रतिष्ठा? इन यूनिवर्सिटी का हुआ ‘नेमचेंज’…

उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में शुमार इलाहाबाद शहर का नाम 2018 में बदलकर प्रयागराज कर दिया, इसके पीछे तर्क यह था कि इस शहर का प्राचीन नाम यही था जिसे मुस्लिम शासकों ने बदलकर इलाहाबाद कर दिया था. यह तो पुरानी बात हो गयी है, अब विवाद यह है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और योगी आदित्यनाथ की सरकार यह चाहती है कि पूर्वांचल के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलकर प्रयागराज विश्वविद्यालय कर दिया जाये.

By Rajneesh Anand | May 15, 2020 2:59 PM
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उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में शुमार इलाहाबाद शहर का नाम 2018 में बदलकर प्रयागराज कर दिया, इसके पीछे तर्क यह था कि इस शहर का प्राचीन नाम यही था जिसे मुस्लिम शासकों ने बदलकर इलाहाबाद कर दिया था. यह तो पुरानी बात हो गयी है, अब विवाद यह है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और योगी आदित्यनाथ की सरकार यह चाहती है कि पूर्वांचल के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलकर प्रयागराज विश्वविद्यालय कर दिया जाये.

इसके लिए मंत्रालय ने विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद को पत्र लिखा है और उनसे इस बाबत सलाह मांगी है. हालांकि परिषद के 15 सदस्यों में से 12 सरकार के प्रस्ताव से सहमत नहीं है, उनका मानना है कि जब विश्वविद्यालय के नाम के साथ प्रयागराज जुड़ा ही है, तो फिर नाम बदलने की कवायद क्यों की जा रही है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय की एक पहचान है, नाम बदल देने से इसकी पहचान मिट जायेगी.

कार्यकारी परिषद के विरोध के बाद संभव है कि विश्वविद्यालय का नाम ना बदला जाये, लेकिन हमारे देश में विश्वविद्यालयों का, शहरों का और सड़कों का नाम बदलने की परंपरा पुरानी है. देश में जिस पार्टी की सरकार रही उसने अपने मन से परंपराओं और मान्यताओं की आड़ में यह ‘नेमचेंज’ किया. कलकत्ता अब कोलकाता है, बंबई अब मुंबई है, मद्रास बना चेन्नई और गुड़गांव गुरुग्राम. इसी तरह मुगलसराय स्टेशन का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन हो गया है. वैसे ही दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम कलाम रोड और शाहजहां रोड का दशरथ मांझी रोड कर दिया गया.

तो अब बात करें उन विश्वविद्यालयों की जिनका नाम बदल दिया गया. यहां गौर करने वाली बात यह है कि देश में जब विश्वविद्यालयों का नाम बदलने की पेशकश हुई तो उसका विरोध भी हुआ. विरोध अगर मुखर हुआ तो प्रस्ताव वापस भी हो गया. लेकिन जो प्रमुख विश्वविद्यालय सामने आते हैं , जिनका नाम बदला गया, उनमें प्रमुख है भागलपुर विश्वविद्यालय जिसका नाम बदलकर 1991 में तिलका मांझी विद्यालय कर दिया गया.

वैसे बिहार यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर का नाम बदलकर अंबेडकर यूनिवर्सिटी कर दिया गया. ऐसे ही मेरठ यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय कर दिया, जबकि आगरा विश्वविद्यालय का नाम 1995 में बदलकर डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय कर दिया गया. गौरतलब है कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के नाम को लेकर भी विवाद हुआ था, लेकिन बाद में तात्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विवाद पर विराम लगा दिया था और विश्वविद्यालय का नाम बदला नहीं गया था.

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