Five point strategy for corona battle : देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर के आने की आशंकाओं के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव इसके खिलाफ जंग में पांच सूत्री रणनीति को अहम हथियार बताया है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाल में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कोरोना के खिलाफ जंग के लिए मूल मंत्र बताए हैं.
यूनिसेफ के इस संयुक्त कार्यशाल में स्वास्थ्य राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में जनता को सूचित करने और शिक्षित करने की सामाजिक जिम्मेदारी के साथ मीडिया सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है, क्योंकि अभी दूसरी लहर स्थिर है और देश भर में दैनिक मामलों में कमी देखी जा रही है. इसलिए इस समय टीकाकरण और वैक्सीन से जुड़े झिझक को दूर करने पर जोर होना चाहिए.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि टीकाकरण से जुड़े संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, देश भर में अब 18 साल से अधिक आयु के लोगों के लिए वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध है और लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मीडिया महामारी से लड़ने में हमेशा ही एक अहम भागीदार रहा है. कोरोना टीकाकरण जैसे बहु-हितधारक और सतत अभियान के लिए फर्जी ख़बरों और मिथकों को प्रभावी ढंग से दूर करने और मिथकों का मुकाबला करने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, समय की मांग है कि कोरोना अनुकूल व्यवहार, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और टीकाकरण की पंचसूत्री रणनीति का पालन किया जाए.
उन्होंने कहा कि सार्स-सीओवी2 वायरस की गतिशील नैदानिक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण और कोरोना अनुकूल व्यवहार (सीओबी), जिसमें ठीक तरीके से मास्क पहनना, बार-बार हाथों को धोना और छह फीट की दूरी बनाए रखना महामारी को रोकने के सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं.
भारत सरकार द्वारा अपनाई गई कोरोना संबंधी रणनीति के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि वायरस को रोकने में सामुदायिक भागीदारी भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि वायरस के प्रसार की कोई सीमा तय नहीं है और महामारी की सामूहिक एवं सहयोगी लड़ाई में केंद्र और राज्य के बीच समन्वय और सामुदायिक भागीदारी जरूरी है.
उन्होंने कहा कि देश में धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो रही हैं. ऐसे में सामाजिक एवं अन्य सभाओं की वजह से वायरस के फैलने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने आगे कहा कि संचार संदेश कई लोगों की समझ से बाहर होते हैं और यह धारणा लोगों में बन जाती है कि अब कोई जोखिम नहीं बचा है. लोग संदेशों को अनसुना भी करने लगते हैं. हमें अपने सूचना संदेशों को नए सिरे से और नवीनता के साथ प्रेषित करने की जरूरत है और मीडिया इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है.
Posted by : Vishwat sen