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कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा
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दिल्ली और महाराष्ट्र में कोरोना से मौत
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तमिलनाडु में कोरोना को लेकर नई गाइडलाइंस
बीते कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा दर्ज किया जा रहा है. दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल समेत कुछ और राज्यों में कोरोना संक्रमण में बढ़ोत्तरी हुई है. दिल्ली और मुंबई में कोरोना से मौत हुई है. दिल्ली में कल कोरोना से 2 लोगों की मौत हुई थी. जबकि मुंबई में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किये हैं, जिसमें चार की मौत हुई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के कुल 13,742 मामले सामने आए.
बीते एक हफ्तों के आंकड़ों पर गौर करें तो महाराष्ट्र, कर्नाटक तमिलनाडु, केरल, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत और कई राज्यों में कोरोना से संक्रमितों की संख्या एक हजार से ज्यादा रही है. जबकि अकेले केरल और महाराष्ट्र में बीते सप्ताह रोजाना करीब 4 हजार कोरोना केस दर्ज किये गये. ऐहतियात के तौर पर इन राज्यों की सरकारों कई नई गाइडलाइंस भी जारी किये. इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजो समेत सार्वजिनिक स्थानों पर भी कई पाबंदिया लगाई.
इधर, केरल और महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने कई सुरक्षात्मक कदम उठाए हैं. इसके तहत तमिलनाडु राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने केरल और महाराष्ट्र से तमिलनाडु आने वाले यात्रियों के लिए 7 दिनों के लिए क्वारेंटिन रहने को अनिवार्य कर दिया है. 24 फरवरी को जारी एक सरकारी आदेश में, स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि केरल और महाराष्ट्र से तमिलनाडु आने वाले यात्रियों को होम क्वारेंटिन में सात दिन बिताना होगा.
और बढ़ सकते हैं मामले: इधर, कोरोना वायरस में आये 7000 से ज्यादा बदलावों का रिकॉर्ड तैयार किया गया है. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने वायरस में होने वाले बदलाव और नये स्वरूप के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि कुछ राज्यों में कोविड के संबंध में उचित तौर-तरीका नहीं अपनाने के कारण शायद मामले बढ़ रहे हैं. वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि अगर सुरक्षा संबंधी नियम नहीं अपनाये गये, तो ज्यादा संक्रामक स्वरूप का प्रसार हो सकता है या यह मूल स्वरूप की जगह ले सकता है.
उन्होंने बताया, ‘इसका यह मतलब नहीं है कि देश में कोरोना वायरस के इतने सारे स्ट्रेन हैं. इसका बस ये मतलब है कि अपेक्षा के अनुरूप वायरस के स्वरूप में बदलाव हुआ है और हमने इन बदलावों का दस्तावेजीकरण किया है.’ उन्होंने जोड़ा कि अभी यह कह पाना कठिन है कि देश में वायरस के कितने स्ट्रेन हैं. विषाणु विज्ञानी उपासना रे ने बताया कि वायरस के स्वरूप में बदलाव का मतलब न्यूक्लिक एसिड बेस या अमीनो एसिड कण में बदलाव से है और इसमें परिवर्तन को स्वरूप बदलना कहते हैं.
रे ने कहा कि बदलाव वाले सभी वायरस हमेशा कायम नहीं रह पाते. उनमें से कुछ खत्म हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि सार्स कोव-2 में परिवर्तन कोई नयी बात नहीं है. आबादी के बीच वायरस जितने लंबे समय तक रहता है और जितना इसका प्रसार होता है, इसमें उतना ही बदलाव होता है. सीसीएमबी के विश्लेषण में पाया गया कि कई देशों में खौफ पैदा करनेवाले नये स्ट्रेन के मामले भारत में बहुत कम आये हैं.
Posted by: Pritish sahay