कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों की सरकार आर्थिक मदद करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है, इस संबंध में छह हफ्तों के भीतर एक रणनीति तैयार करें और तय कर लें कि पीड़ित परिवार को कितना मुआवजा दिया जा सकता है.
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा की कोर्ट कोई मुआवजा तय नहीं कर सकती. सरकार अपनी नीति के मुताबिक पीड़ित परिवार को राहत देने का निर्णय ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी नीति के अनुसार इसका फैसला ले सकती है, सरकार के पास क्या संसाधन उपलब्ध हैं, उनके आधार पर पीड़ित परिवार वालों को कितना मुआवजा मिलना चाहिए यह तय करने का पूरा अधिकार सरकार के पास है.
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नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी मुआवजा तय कर सकती है नियम और संसाधन के मुताबिक. कोर्ट ने सरकार को छह हफ्तों की मोहलत दी है. इसी वक्त में सरकार को नीति तैयार करनी है सरकार ने चार लाख मुआवजा देने में असमर्थता दिखायी थी और कहा था कि इतनी राशि देना संभव नहीं है इससे सरकार पर बोझ बढ़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की चार लाख मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया है, इस पर सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इतना मुआवजा देना संभव नहीं है. इसकी वजह से सरकार पर भारी दबाव पड़ेगा. अब कोर्ट ने सरकार से मुआवजा राशि तय करने को कहा है. सरकार ने पहले इस मामले पर कहा था कि ‘राष्ट्र के संसाधनों का तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और सर्वोत्तम उपयोग’ करना है.
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चार लाख रुपये की संभव नहीं है. केंद्र ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर 12 विशिष्ट चिन्हित आपदाओं में कोरोना नहीं है साल 2015 से 2020 के दौरान प्रस्तावित खर्च के दिशा-निर्देशों के आधार पर भी इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता,