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कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने एंटीबॉडी को भी दिया चकमा, बार-बार संक्रमित हुए लोग : स्टडी में सामने आयी बात

नयी दिल्ली : पिछले साल कोरोना (Coronavirus) की पहली लहर ने मानव जाति का उतना नुकसान नहीं किया, जितना कि दूसरी लहर ने किया. कोरोनावायरस के नये स्वरूप डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) ने दुनिया में तबाही मचा दी. सबसे ज्यादा असर भारत पर देखने को मिला. दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट ने मनुष्य के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी चकमा दिया और बार-बार संक्रमित करता रहा. हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक उत्परिवर्तन का अनूठा सेट वायरस को अधिक संक्रामक बनाता है. यह लोगों को अधिक जोखिम की ओर ले जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2021 8:01 AM

नयी दिल्ली : पिछले साल कोरोना (Coronavirus) की पहली लहर ने मानव जाति का उतना नुकसान नहीं किया, जितना कि दूसरी लहर ने किया. कोरोनावायरस के नये स्वरूप डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) ने दुनिया में तबाही मचा दी. सबसे ज्यादा असर भारत पर देखने को मिला. दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट ने मनुष्य के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी चकमा दिया और बार-बार संक्रमित करता रहा. हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक उत्परिवर्तन का अनूठा सेट वायरस को अधिक संक्रामक बनाता है. यह लोगों को अधिक जोखिम की ओर ले जाता है.

डेल्टा वेरिएंट को और अच्छे से जानने के लिए भारत के शोधकर्ताओं ने इसके ऊपर रिसर्च शुरू किया है. इसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं. प्रयोगशाला में यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि मानव एंटीबॉडी के साथ यह कैसे रिएक्ट करता है और फेफड़ों को किस प्रकार संक्रमित करता है. इस रिसर्च में इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के वैज्ञानिक शामिल हैं. शोध कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की गुप्ता लैब के सहयोग से किया गया है.

पूर्ण टीकाकरण के बाद भी संक्रमित हुए कई लोग

इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राजेश पांडे ने कहा कि शोध में अभी तक जो बातें सामने आयी हैं उनमें सबसे जरूरी यह बताना होगा कि डेल्टा वेरिएंट प्रतिरक्षा के अनुरूप खुद को आसानी से बदलता है. यह वेरिएंट वैसे लोगों में भी संक्रमण का कारण बना जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थी. इसका मतलब यह है कि हमें बहुत सतर्क रहना होगा और उचित व्यवहार करना होगा, खासकर अब जब हम डेल्टा प्लस के मामले भी देखने को मिल रहे हैं. अध्ययन में और भी बातें बता चलेगी.

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अध्ययन में शामिल एक और एक्सपर्ट और इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि डेल्टा संस्करण में अभी तक देखी गयी अधिकतम संचरण क्षमता है, और पिछले संक्रमणों और टीकों से तटस्थता संरक्षण को कम करता है. एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि हम पाते हैं कि डेल्टा वेरिएंट पहले की तुलना में अधिक संक्रामक है. साथ ही यह प्रतिरक्षा से बचने में भी सक्षम है.

यह भी कहा गया कि पहले पाये गये कोरोना वेरिएंट की तुलना में डेल्टा वेरिएंट कई गुना ज्यादा संक्रामक है. हम पाते हैं कि मुंबई में, डेल्टा वेरिएंट पहले पाये गये वेरिएंट की तुलना में 10% से 40% अधिक संक्रामक है. साथ ही पिछले वाले वेरिएंट से 20 से 55% ज्यादा प्रतिरक्षा को चकमा देने की क्षमता रखता है. ऐसा अनुमान है कि भारत में दूसरी लहर का मुख्य कारण डेल्टा वेरिएंट ही था. जिसकी वजह से यहां सबसे ज्यादा मौतें हुई.

डब्ल्यूएचओ लगातार दे रहा है चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन डेल्टा वेरिएंट को लेकर लगातार चेतावनी दे रहा है. उसने कहा कि डेल्टा के अन्य स्वरूपों का खतरा भी मंडरा रहा है. उसके लिए तैयारी करनी होगी. अब तक 85 देशों में इस स्वरूप के मिलने की पुष्टि हुई है और दुनिया के अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आते जा रहे हैं. डब्ल्यूएचओ ने इसे चिंता के प्रकार की श्रेणी में रखा है और कहा है कि इसपर बारीकी से नजर रखी जा रही है. इसने कहा कि डेल्टा स्वरूप अल्फा स्वरूप से कहीं ज्यादा संक्रामक है और अगर मौजूदा चलन जारी रहता है तो इसके अधिक हावी होने की आशंका है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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