सरकार देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी ऑफ इंडिया) में अपनी 25% हिस्सेदारी बेचने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की योजना बना रहा है. ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एक बड़े बजट अंतर को खत्म करने के लिए संसाधन चाहते हैं.
Also Read: Dumka Byelection 2020 : दुमका जिले में आदर्श आचार संहिता लागू, कोरोना काल में पहली बार होगा यह बदलाव
इस मामले के जानकार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि सरकार ने संसद के उस अधिनियम में संशोधन करने की योजना बनायी है जिसके तहत लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को स्थापित किया गया था, जिससे इसे बिक्री के लिए तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि एलआइसी का आइपीओ को जारी करना बाजार की स्थितियों पर निर्भर करेगी साथ ही यह बिक्री चरणबद्ध तरीके से की जायेगी.
प्रस्ताव हो गया है तैयार : डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने एलआइसी में हिस्सेदारी बेचने को ड्राफ्ट तैयार किया है और इसे सेबी, इरडा और नीति आयोग समेत संबंधित मंत्रालयों के पास भेजा गया है. पूरे मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया कि सरकार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 100 फीसदी से घटाकर 75 फीसदी तक सीमित करना चाहती है.
-
एलआइसी का आइपीओ हो सकता है अब तक का सबसे बढ़ा आइपीओ
-
डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने तैयार किया है ड्राफ्ट
वित्तीय घाटे को पूरा करने की कोशिश : एलआइसी में हिस्सेदारी की सार्वजनिक रूप से बिक्री करने से सरकार को जरूरत के मुताबिक बड़ी राशि प्राप्त होगी. कोरोनावायरस महामारी के बढ़ने से वृद्धि रुक गयी है और मार्च 2021 तक राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा तय लक्ष्य जीडीपी के 3.5 प्रतिशत को पार कर जाने का खतरा बना हुआ है. खर्च के बढ़ने और टैक्स में कमी होने के अंतर की भरपाई इस बिक्री से पूरी हो जायेगी. शायद यही वजह की सरकार ने एलआइसी की 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है जबकि पहले 10 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने की योजना थी.
200 अरब रुपये जुटाने की है योजना : ब्लूमबर्ग न्यूज ने पिछले महीने बताया है कि सरकार ने डेलॉयट टूच तोहमात्सू इंडिया लिमिटेड और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड को शेयरों की बिक्री करने में मदद करने के लिए चुना है. जून में जारी एक निविदा दस्तावेज के अनुसार, ये सलाहकार भारत के सबसे बड़े बीमा कंपनी की पूंजी संरचना का मूल्यांकन करने में और साथ ही कंपनी को अपने वित्तीय विवरण को फिर से तैयार करने में मदद करेंगे.
प्रस्ताव के हिस्से के रूप में, सरकार 200 अरब रुपये की अधिकृत पूंजी के लिए संसद में एक संशोधन भी करेगी, जिसे 20 अरब शेयरों में विभाजित किया जायेगा. सूत्रों ने बताया कि परिसंपत्ति की बिक्री के लिए स्थापित एक मंत्री स्तरीय पैनल सार्वजनिक पेशकश के आकार पर फैसला करेगा, जबकि कैबिनेट बीमा कंपनी की पूंजी संरचना में बदलाव पर विचार करेगा.
Post by : Pritish Sahay