नयी दिल्ली : देशभर में कोरोना के लगभग 80 फीसद मामलों में संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं होते. एनडीटीवी को दिये गये इंटरव्यू में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेडकर ने यह जानकारी दी है.
देशभर कोरोना के 17656 मामले हैं. 559 लोगों की मौत हो चुकी है. इन मामलों में सबसे गंभीर बात यह है कि कोरोना के लभग 80 फीसद मामलों में संक्रमण के लक्षण नहीं मिलते. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेडकर ने यह जानकारी दी है.
उन्होंने कहा, 80 प्रतिशत कोरोना के मामले asymptomatic हैं यानी कि इनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते हैं. हमारा एक ही डर उनका पता लगाने (Detection) को लेकर है. इस तरह के मामलों का पता लगाना मुश्किल है.
इस तरह के मामलों का पता लगाने का एक ही जरिया है और वो है कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों के कांटेक्ट्स को ट्रेस करके ही इनका पता लगाया जा सकता है. नहीं तो मुश्किल है. सबका टेस्ट मुमकिन नहीं है. ये चिंता का विषय है. खुद का ख्याल और सरकार के निर्देश का पालन करना ज़रूरी है.
डॉ गंगाखेडकर ने कहा, अगर संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं है तो उसकी पहचान करना कठिन हो जाता है. सभी लोगों की जांच करना मुश्किल है. कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.
जब उन्हें वायरस का संक्रमण होता है तो उनके शरीर की इम्यूनिटी शरीर को प्रभावित नहीं होने देती और इंसान को सामान्य लगता है. खतरनाक बात ये है कि इस दौरान ये लोग दूसरों को कोरोना से संक्रमित कर सकते हैं, ऐसे में सोर्स का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.
इस इंटरव्यू में वैज्ञानिक से कई सवाल किये गये. जिसमें पूछा गया कि क्या महामारी अपनी चरम सीमा पर है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, महामारी में पीक (सबसे ऊंचा स्तर) को लेकर अनुमान करना ठीक नहीं है.
हम ये कह सकते हैं कि पीक बहुत बड़ा नहीं होगा. प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कब तक ठोस नतीजा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, शोध के परिणाम आने में काफी वक्त लगेगा. प्लाज़्मा थेरेपी के अलग अलग ट्रायल्स करने की कोशिश हो रही है. महीनों का समय लगेगा.